
स्वयं सेवी संस्था (NGO) रजिस्टर क्यों करवाएं ?
Friday, 19 May 2017
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स्वयं सेवी संस्था (NGO) रजिस्टर क्यों करवाएं ?

हमारे समाज में यदि हम अकेले ही कोई सामाजिक, नेकी, भलाई, परोपकार का कार्य करते आ रहे हो या अपनी ही सोच वाले कुछ लोगों के साथ मिलकर जनसेवा कार्य करते हो तो किसी तरह के संस्था रजिस्ट्रेशन की आपको जरूरत नहीं है। आप अपनी क्षमता के अनुसार अपने स्तर पर जितना नेकी का कार्य समाज-विश्वकल्याण में हो सके करते रहिए।
आप वायंलेंटीयर्स की हैसियत से भी किसी संस्था में अपनी सेवाएं दे सकते हैं।
आपको लगता है कि आप संस्था संचालन-प्रबंधन जैसे कार्य न तो खुद कर सकते हैं और न ही किसी दूसरे से ये कार्य करवा सकते हैं तब भी आपको संस्था रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं है। क्योंकि संस्था चलाना किसी कंपनी को चलाने जैसा ही है।
हां अगर आप सामाजिक कार्य करते हुए ये अनुभव करें कि आप और आपका समूह नियमित-अनुशासनात्मक-व्यवस्थित तरह से कार्य करने की स्थिति में है। अब आप इस स्थिति तक आ गए हैं कि आपको ऐसा लगता है कि आपको ज्यादा संसाधन मिले और आपको ज्यादा जनसहभागिता की जरुरत है जिससे आप ज्यादा सेवा कल्याण कार्य कर सके तो आपको संस्था जरूर रजिस्टर करवानी चाहिए।
कभी-कभी या यूं कहिए कि हमेशा ही संगठन सेवा कार्य करते हुए इस बात की सख्त आवश्यकता महसूस होती है कि समाज के विकास कार्यों को निरंतर संचालित करने के लिए उसका कानूनी रजिस्टर्ड होना अति आवश्यक है। हम जिस किसी भी तरह के विकास कार्यक्रमों, प्रोजेक्ट या इसी तरह की कोई अन्य गतिविधियां संचालित करने की योजना तैयार कर रहे है तो यह आवश्यक हो जाता है कि संगठन/संस्था कानूनी तौर पर रजिस्टर्ड हो।
शुरुआत में तो संगठन को अपने स्तर पर चला सकते हैं लेकिन जब हमें लगता है कि इसे बढ़ाना चाहिए विस्तार देना चाहिए तो हमें ऐसे सेवा कार्यों में टीम की और संसाधनों की जरूरत होती है। और लोगों की टीम व समूह को रजिस्टर्ड संस्था बनाकर विस्तार देना चाहिए जिससे अन्य संसाधन भी संस्था को मिले व आप व्यवस्थित तरह से कार्य कर सके। बहुत से व्यक्ति कई संगठन व संस्थाओं के साथ मिल कर कार्य कर रहे हैं। ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में अनेक संस्थाएं विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर कार्य कर रही है लेकिन फिर भी हमारे देश में अभी भी बहुत से क्षेत्र ऐसे है जहां किसी तरह की स्वयंसेवी संस्था नहीं है। इस तरह के क्षेत्र में कार्य करने के लिए उस क्षेत्र और वहां रह रहे नागरिकों की जरुरतों के मुताबिक समाजसेवा क्षेत्र में करने को बहुत से कार्य हैं यदि ऐसे व्यक्ति या संगठन अपना स्वयं का सामाजिक सेवा संस्था शुरू करना चाहते हैं तो उन्हें संस्था जरूर रजिस्टर करवानी चाहिए। और वह संगठन स्वयंसेवी संस्था (NGO) के रूप में रजिस्टर हो सकता है।
जब हम रजिस्ट्रेशन करवाएं बिना ही समाज सेवा कल्याण कार्य कर सकते है संगठन को चला सकते हैं तो हमें रजिस्टर्ड क्यों करवाना जरूरी है?
ऐसे बहुत से कारण या वजह है जिसके लिए हमें संस्था रजिस्टर करवाना बेहद जरूरी है।
संस्था रजिस्टर करवाने के ये कारण हैः
स्वयंसेवी संस्था (NGO) रजिस्टर करवाना कोई बड़ी बात नहीं है। जो बहुत जरूरी है वह यह है कि स्वयंसेवी संस्था (NGO) को उसने किस एक्ट में रजिस्टर करवाया है और इसका मेमोरंडम किस तरह से तैयार किया गया है। उसमें कौन से उद्देश्य व बायलॉज शामिल किए गए हैं। रजिस्टर्ड हो जाने के बाद संस्थान सामाजिक उद्यमिता (सोशल एंटरप्रीन्योरशिप) की तरह अपने पूर्व-निर्धारित उद्देश्यों व नई चुनौतियों के साथ अपनी कार्य गतिविधि संचालित कर सकती है।
किसी लाभ कमाने वाले व्यावसायिक प्रतिष्ठान और अलाभकारी संस्था के संचालन के तौर-तरीके लगभग समान ही होते हैं जो मुख्य अंतर है वह यह है कि लाभ कमाने वाले व्यावसाय के मालिक, भागीदार, निदेशक स्वयं लाभ प्राप्त करते हैं लेकिन संस्था में स्वहित के लिए संस्था की आय में संस्था संचालक स्वयं इस तरह का कोई लाभ नहीं ले सकते। संस्था को चलाने के लिए कर्मचारी तनख्वाह अथवा मानदेय पर रखे जाते हैं। अलग-अलग प्रोजेक्ट की जरूरत के अनुसार नियोजित कर्मचारी होते हैं। कार्यालय सहयोगी जैसे पदों पर भी कर्मचारी संस्था रख सकती है। स्वयं सेवी संस्था संचालक संस्था के कार्य के लिए यात्रा व अन्य खर्चे संस्थामद से ले सकते हैं। संस्था संचालक किसी प्रोजेक्ट में सलाहकार या इसी तरह की सेवा के लिए मानदेय कुछ विशेष नियम-शर्तों के साथ एक निर्दिष्ट समय तक ले सकते हैं।
किसी लाभ कमाने वाले व्यावसायिक प्रतिष्ठान और अलाभकारी संस्था के संचालन के तौर-तरीके लगभग समान ही होते हैं जो मुख्य अंतर है वह यह है कि लाभ कमाने वाले व्यावसाय के मालिक, भागीदार, निदेशक स्वयं लाभ प्राप्त करते हैं लेकिन संस्था में स्वहित के लिए संस्था की आय में संस्था संचालक स्वयं इस तरह का कोई लाभ नहीं ले सकते। संस्था को चलाने के लिए कर्मचारी तनख्वाह अथवा मानदेय पर रखे जाते हैं। अलग-अलग प्रोजेक्ट की जरूरत के अनुसार नियोजित कर्मचारी होते हैं। कार्यालय सहयोगी जैसे पदों पर भी कर्मचारी संस्था रख सकती है। स्वयं सेवी संस्था संचालक संस्था के कार्य के लिए यात्रा व अन्य खर्चे संस्थामद से ले सकते हैं। संस्था संचालक किसी प्रोजेक्ट में सलाहकार या इसी तरह की सेवा के लिए मानदेय कुछ विशेष नियम-शर्तों के साथ एक निर्दिष्ट समय तक ले सकते हैं।
Sours : http://hindi.ngosindia.com/ngo-registration/why-to-register-ngo/
साभार
श्याम
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