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माँ

माँ मुझे पता है माँ! तेरी प्यार भरी वो थपकी जब मैं बचपन में अकारण रोया करता था। मुझे याद है माँ! तेरी प्यार भरी झपकी जब में कभी तुम्हे वेबजह...

लाचार बचपन

--------// लाचार बचपन //------- छोटी हूँ साहब अभी नादान हूँ, पढ़ाई क्या है इससे अनजान हूँ, अभी अभी पता चला है कि, स्कूल में पढ़ाई कराई जाती है...

जिंदगी_Life

कुछ खट्टा कुछ मीठा , मन का एक एहसास है जिंदगी , प्यार कुछ तकरार , कभी किसी की इकरार है जिंदगी , कभी रहती साथ , कभी प्रियतम का इंतजार है...

मै शब्द हूं! I am word

 शीर्षक- मै शब्द हूं! मैं शब्द हूं! मै कहीं मौन तो कहीं व्यक्त हूं  मै कड़वा भी हूं और मीठा भी  मै सम्मान भी पाता हूं  और अपमानित भी होता हू...

आओ मिलकर दीप जलाएं

आओ मिलकर दीप जलाएं आओ दीवाली, धूम मचाएं   मिलकर खुशियां, खूब मनाएं । सच में सबको मिले दीवाली आओ मिलकर दीप जलाएं ।।1।। हर चेहरे पर, रौनक निखर...

घर-घर खुशियों के दीप जले

घर-घर खुशियों के दीप जले घर-घर द्वार दीप जले,  घर-घर हो खुशी का उजियारा दीपावली सुख शांति समृध्दि लाये, दूर भगे अँधियारा। माँ लक्ष्मी का आशी...

भ्रष्टाचार मुक्त भारत हो मेरा

                 कविता- भ्रष्टाचार मुक्त भारत हो मेरा आचार हमारे विचार हमारे सबमे रहे ऐसी शुद्धता भ्रष्टाचार से रंगे न दामन, मन मे रहे सदा प...

जंगल के स्कूल forest school

 जंगल के स्कूल हुआ यूँ कि जंगल के राजा शेर ने ऐलान कर दिया कि अब आज के बाद कोई अनपढ़ न रहेगा। हर पशु को अपना बच्चा स्कूल भेजना होगा। राजा साह...

नवरात्रि की बेला

कविता कहती कविता से में,  कविता तुम्हे सुनाती   हूं । लोगों के दिलों दिमागो की , बाते तुम्हे बताती हूं।। नवरात्रि   की   बेला में ,  घर  घर ...

"कुदरत सिखाती है जीना" Nature teach lives

"कुदरत सिखाती है जीना" बस ऊँचे ही बढ़ते जाना, कभी न रुकना न ठहरना आसमान को छू लेने की, एक आरजू पूरी करना धरा से ऊपर उठने की, सबमे ह...

रेस्टोरेंट का खाना

 कंफ्यूजन था मैं मेनू देखकर क्या खांऊ, क्या न खांऊ, मेनू पढ़कर घूम गया सिर यहाँ खांऊ या कही जांऊ। पलटते रहा पन्ना बेसब्री से मिल जाये कोई अच्...

कविता - "माँ"

माँ की दुआओं ने,  आज ऐसा काम किया नालायक था जीवन मे,  समाज मे ऊँचा नाम दिया। माँ! कोख में रखकर तुमने,  न जाने कितने कष्ट सहे मेरे आने की खुश...

गुमनाम बचपन

 कविता - गुमनाम बचपन सडको पर गुजरते दिन, किसी कोने में गुजरती रात ये खुदा! क्या कुसूर है मेरा, क्यों नहीं है तू मेरे साथ  बचपन में सहलाने वा...

रिश्तों की डोर नही कमजोर

                                                                 लेखक- //श्याम कुमार कोलारे// आज कल उखड़े-उखड़े से, मिजाज लगते है पता नही बेबज...

हम एक बने हम नेक बने

हम एक बने हम नेक बने (वर्तमान परिपेक्ष में एक होने का संदेश देती पंक्ति) //स्वरचित कविता - श्याम कुमार कोलारे// हम एक बने हम नेक बने हममें ह...

कविता - गुमनाम उजाला

 कविता - गुमनाम उजाला उस दहसत भरी रातो में,  अंधेरा चुभता है आंखों में कमजोर होता दिल मेरा,  जान नही अब साँसों में डरता हूँ अपनी ही परिछाई स...

15 मई 2022 विश्व परिवार दिवस विशेष- कविता - परिवार

 //15 मई 2022 विश्व परिवार दिवस विशेष// कविता - परिवार ---------------------------------------------- जीवन की मजबूत कड़ी, जीवन का आधार    बचप...