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समाज का मेहराब

समाज का मेहराब

आह्वान

समता वादी महाबलशाली असुर नाग मेहरगढ़ियों की संतान।
समाज का महराब बनी थी सब करते थे उनका गुणगान।
भयखाते थे,इन्द्र ब्रम्ह देव बामन गन्धर्व किन्नर लोक,
नतमस्तक होते थे  ,आकाश पाताल के लोग।
कुमार्गी उत्पाति भूसुर बामनो ने छेड़ा महासंग्राम,
असुर मेहरगढ़ी इंन्द्र से हारे,किया उनके महलो को बिरान।
इतिहास जलाये,बंदी बनाये,बेजुबान हुई उनकी संतान।
समाज का महराब बनीव थी ,सब करते थे उनका गुणगान।।

शूद्र द्रविड़ असुर  दासदस्यु नाग,वासुकी तक्छक थे महरगड़ियो के नाम।
भूसुरो ने कठिन नियम बनाये,जूठन चिथड़े दिये पुआल बिछान।
मांस मदिरा सेवा थोपी,नीच करम था उनका काम।
समाज से टूटे शिल्पी वैग्यानिक,खोया मान सम्मान।
सदियो तक उत्पीडन झेला,उठ न सका सुप्त योद्धा महान।
समाज का मेहराब...........।।
जानवरो सा जीवन ,नंगे बदन गरमी सरदी संग खेला।
महारियो की जिन्दगी हुई सदियो तक,जीवित मुर्दे के समान।
समाज का महराब........।।

शिक्छा से रखकर दूर, देव संस्कृति ने महारो को बनाया क्रूर।
जाति वरण उपजातियो मे बांटा,एक न हो सकी उनकी संतान।
समाज का महराब............।।
धन धरती इज्जत को लूटा,अछूत बनाया जमकर पीटा।
दलित हरिजन गाली का खूंटा ,वीर महारो का
 इतिहास बनाया झूठा।
जागो प्यारे भोले भाले सज्जन,जातिवाद का करो विसर्जन।
परंपरा तोड़ो,न करो मनुवाद पर गरजन।
याद करो झलकारी,दुर्गा,
टन्ट्या उधमसिह का बलिदान।
भूलो नही तुम कोरेगांव के वीर महारो का शौर्य महान।
भीम बुद्ध की शिक्छा से सीखो,अब न बेचो अपना स्वाभिमान।
पारस कहे, इतिहास रचो तुम,बनो शिक्छाविद्,शिल्पी,व्यापारी
भिषग् महान।
समतावादी महाबलशाली असुर नाग मेहरगड़ियो की संतान।
समाज का महराब बनी थी सब करते थे उनका गुनगान।

सेवा नि.प्रोफे.
डॉ.पी.आर.अठनेरिया

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