"दलित हैं साब"
Saturday 3 October 2020
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दलितों एवं पिछड़ों के प्रति समाज में अभी भी ऐसे भेदभाव है एक सच्चाई व्यक्त करता बच्चा लाल उन्मेष द्वारा लखित लेख !
https://youtu.be/AQ7a_y5pbQ8
कौन जात हो भाई?
"दलित हैं साब"
नहीं, मतलब किसमें आते हो?
आपकी गाली में आते हैं
गन्दी नाली में आते हैं
और अलग की हुई थाली में आते हैं साब!
मुझे लगा, हिन्दू में आते हो!
आता हूँ न साब!
पर आपके चुनाव में।
क्या खाते हो भाई?
जो एक दलित खाता है साब!
नहीं मतलब क्या-क्या खाते हो?
आपसे मार खाता हूँ
कर्ज़ का भार खाता हूँ
और तंगी में नून तो कभी अचार खाता हूँ साब!
नहीं मुझे लगा कि मुर्गा खाते हो!
खाता हूँ न साब! पर आपके चुनाव में।
क्या पीते हो भाई?
"जो एक दलित पीता है साब!
नहीं मतलब क्या-क्या पीते हो?
छुआ-छूत का गम
टूटे अरमानों का दम
और नंगी आँखों से देखा गया सारा भरम साब!
मुझे लगा शराब पीते हो!
पीता हूँ न साब! पर आपके चुनाव में।
क्या मिला है भाई?
"जो दलितों को मिलता है साब!
नहीं मतलब क्या-क्या मिला है?
ज़िल्लत भरी जिंदगी
आपकी छोड़ी हुई गंदगी
और तिस पर भी आप जैसे परजीवियों की बंदगी साब!
मुझे लगा वादे मिले हैं!
मिलते हैं न साब! पर आपके चुनाव में
क्या किया है भाई?
"जो दलित करता है साब!
नहीं मतलब क्या-क्या किया है?
सौ दिन तालाब में काम किया
पसीने से तर सुबह को शाम किया
और आते जाते दबंगो को सलाम किया साब!
मुझे लगा कोई बड़ा काम किया!
किया है न साब! आपके चुनाव का प्रचार..।
दलित हैं साब !!
दलित !!🙏
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