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“दीपावली लायी खुशियाँ अपार”

“दीपावली लायी खुशियाँ अपार”


श्याम कोलारे, छिंदवाड़ा







दीप सजे है घर आँगन में , रोशन हुआ सारा जहाँ ,

जगमग-जगमग दीपो से, छटा बिखेरे ये समा ,
दीपावली की तैयारी को, जुटा हुआ है हर परिवार,
दीपावली के रूप जैसे, खुशिया आई है आपर l

        रोशन होकर आई दीपावली, खिल उठे हर चेहरे,
        रंग-विरंगी गलियों में, टिमटिमाते अनगिन तारे,         
        रंग-रोगन है हर दीवारे, जैसे सजी हो वसुंधरा,
        रंगोली से सजे है आँगन, मुस्काती है आज धरा l

हर घर आई सम्रद्धि लेकर, माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद,
घर-घर बने खिल बतासे, मिठाई का तो अनुपम स्वाद,
नए कपड़ो में मुन्ना-मुन्नी जैसे लगे कोई अवतार,
दिपावली की बात निराली, बज उठे सब मन के तार l

        पांच दिनों तक मने दीपावली, त्योहारों की रानी है,
        बच्चों की तो मन भावन है, जैसे दुलारी नानी है,
        मढ़ई मेलों की खुशहाली, गाँव-शहर में चहल निराली,
        सब मिलकर मनाये दीपावली, घर-घर आये खुशहाली l


रचनाकार
श्याम कोलारे “प्रथम” चारगांव प्रहलाद, छिन्दवाड़ा

 

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