// बीते वर्ष की विदाई //
Tuesday 29 December 2020
Comment
नए वर्ष के साथ नई उम्मीदों ने ली अंगड़ाई ।
बीत गया जो वर्ष उसको देते हैं अब विदाई ।
संग सखा परिवार पडोसी नहीं रखी रुस्वाई,नए जोश के साथ सब ने खुशियां संग मनाई ।
बीते वर्ष की गलतियाँ, उनको अब न दोहराना,
गलतियों से सीख फिर नया स्वप्न है सजाना ।
हर ख्वाइश हो अपनी हरदम, ईस करें गोसाई,
बीत गया जो वर्ष उसको देते हैं अब विदाई ।
नए सवेरे के साथ फिर से जागी नई उमंग,
सूरज की लालिमा लेकर आई नई तरंग ।बीते वर्ष के सपने जो रह गए थे जो अधूरे,
आगे कदम बढ़ाकर उन सपनों को कर पूरे ।
नई उमंग और नई तरंग की आई अब आगुवाई,
बीत गया जो वर्ष उसको देते हैं अब विदाई ।
ढल गया जो नव वर्ष था उसको फिर उगाना है,
नए साल में हमको नया इतिहास बनाना है।
खुद से किए जो वादे अब हमको निभाना है,
आए जो भी कठिनाई उसको पार लगाना है ।
नववर्ष स्वागत करने बाज रही मधुर शहनाई,
बीत गया जो वर्ष उसको देते हैं अब विदाई ।
रचनाकार
पुष्पा कोलारे “सखी”
चारगांव प्रहलाद, छिन्दवाड़ा
0 Response to " // बीते वर्ष की विदाई // "
Post a Comment