महिलाओं के कुशल प्रबंधन से समाज को मिलती है मजबूती
महिलाओं के कुशल प्रबंधन
कहते है कि किसी भी कार्य में कुशल प्रबंधन होना बड़ा ही अहम होता है । बचपन से ही माँ, दादी एवं घर की महिलाये को अपने कार्य में कुशल पूर्वक कार्य करते देख सभी महिलाये अपने गृह प्रबंधन के कार्य में दक्षता प्राप्त कर लेती है । घर हो या दफ्तर अपने कार्य प्रबंधन में महिलाये की सजगता एवं कुशलता देखने हो मिल जाती है । शादी के बाद नए घर में परिवार के साथ सामंजस बनाना, परिवार को समझना एवं सभी की रूचि और अरुचि का ध्यान देकर सही को अपने व्यवहार एवं कार्य से सामंजस बनाने की कला शायद महिलाओं में सबसे अधिक होती है । इस कलां के गुण से वह शीघ्र ही नए स्थान एवं नए रिश्ते में प्रबंधन कर लेती है । महिलाये परिवार में रिश्तो का प्रबंधन में एक माँ , पत्नी, बहू आदि रिश्तो को बखूबी निभाते हुए अपने परिवार का संचालन करने में पुरुष के कंधे से कंधे मिलकर जीवन संगनी बनकर अपना दायित्व निभाती है । महिला के प्रबंधन के बजह से ही पुरुष अपने पविवारिक जिम्मेदारी एवं जबाबदारी पूर्ण करने में सक्शन हो पाता है । कहा भी जाता है कि किसी सफल पुरुष के पीछे महिला का हाथ होता है । महिला अपने वर्तमान समय प्रबंधन में निपुण होती है , सुबह से रात्रि तक का समय प्रबंधन से चलती हुई अपने सम्पूर्ण कार्य करती है । सुबह के दैनिक कार्य में खाना पकाने, कपड़ो को धोने, बच्चों को संभालना, घर के सम्पूर्ण कार्य, बड़ों की देखभाल एवं जिम्मेदारी आदि को सँभालते हुए अपने कार्य प्रबंधन करते कब सुबह से रात हो जाती है पता ही नहीं चलता ।
दफ्तर में काम करना एवं उसका कुशल प्रबधन करना एक पेर्टन का काम होता है जो महिलाये काम पेशा का यदि आप उन महिलाओं को कुशल कार्य प्रबंधन में निपुण मानते है तो आप घरेलु महिलायों को भी कम नहीं आंक सकते । घर में बहुउद्देशीय कार्य में प्रबंधन करना होता है । बहार काम में कितना भी अच्छा हो घर के प्रबंधन एवं बहुउद्देशीय कार्य के लिए ही महिलाओं को एक कुशल कार्य प्रबंधक कहा जा सकता है ।
महिलाओं के लिये किसी ने बहुत पहले कहा था कि यदि प्रबन्धन सीखना हो तो किसी भारतीय नारी से सीखो। यह बात सौ प्रतिशत सच भी है, क्योंकि भारत में स्त्रियाँ जन्मजात प्रबन्धक होती हैं । वैसे तो एक कुशल प्रबन्धन समाज के हित में व्यक्ति का विकास करता है, लेकिन किसी समाज की सबसे आधारभूत परिवार में प्रबन्धन उस घर की मुख्य महिला ही करती है, जो भारत में दादी, माँ या पत्नी हो सकती है। इनके अलावा परिवार में जो अन्य महिला सदस्य होती हैं, वे प्रमुख महिला प्रबन्धक की सहायिकाओं के रूप में घरेलू प्रबन्धन में अपने काम को करती हैं । भारत के घरों में इस प्रतिदिन वाले पानी की व्यवस्था महिलाएँ ही बनाए रखती हैं, इस विषय पर चिन्तन की आवश्यकता है। देखने में या सुनने में ऐसा लगता है कि इसमें चिन्तन करने जैसी कौन सी गहरी बात है, लेकिन थोड़ा सोचिए एक दिन भी यदि अचानक आपके घर का नल आना बन्द हो जाये, तो सबसे पहले चिन्ता उस घर की महिला के चेहरे पर ही दिखाई देने लगती है। वह किसी भी तरीके से घर के लिये पानी की ज़रुरत को पूरा कर देती है और इन्तजाम करने पर घर के ड्रम से लेकर चम्मच तक पानी से भरकर रखने की व्यवस्था वही करती है। वह अगले कुछ दिनों तक पानी न आने की स्थिति में भी किस तरह घर को सीमित पानी की मात्रा में चलाना है, इसका भी विशेष ध्यान रखती है ।
लेखक : श्याम कुमार कोलारे
अति सुंदर लेखन
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