-->
नजरिया अपना-अपना

नजरिया अपना-अपना

                        

सूरदास निकालते है खामी मेरे चेहरे में,

बेवफा को शिकायत है कि मैं दगा देता हूँ l

कायर खोजते है परिश्रम मेरे जीवन में,

शकी को शिकायत है कि मैं गलत देखता हूँ l

 

लंगड़ा नुक्श निकालता है मेरी चाल में,

लूला को शिकायत है मैं खराब चलता हूँ l

मंदबुद्धि निकलते है कमी मेरी ज्ञान में,

काना को शिकायत है मैं खराब सुनता हूँ l

 

सुन्दरता रखता हूँ हमेशा व्यवहार में,

सुशील बनने के नुस्के औरों को सीखाता हूँ l

व्यवहार कुशलता झलकता स्वाभाव में,

विनम्र होने की खुशबू सबको बाटता हूँ l

 

साधारण व्यवहार और बहादुरी स्वाभाव में,

कर्तव्यनिष्ठ होने का जस्वा रखता हूँ l

सदा मिठास बनी रहे मेरी वाणी में,

सही आदमी बनने की कोशिश करता हूँ l

 

लेखक/ कवी

श्याम कुमार कोलारे


0 Response to "नजरिया अपना-अपना "

Post a Comment

Ads on article

Advertise in articles 1

advertising articles 2

Advertise under the article