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नशा बुरा है

 



बीडी तम्बाकू गुटखा पान

मौत का है ये सब सामान l

 

सिगरेट की सुट्टी बनी है शान

धुँआ उडाये सब कुछ जान l

 

तंबाकू गुटखा जो जन खाते

मांगकर खाने सी न शरमाते 

 

शराब जैसे पीते फैसन में l

पीकर पड़े रहते है खेतन में 

 

हाथ काँपे , पैर लडखडाये

मुह इनके गली गलोच आये l  

 

गांजा अफीम चरस भांग

करवाती है ये सब स्वांग l

 

धुँआ ने धड को चलनी किया

खांसे हर क्षण जैसे छय हुआ l  

 

जवानी में बुड्डा बन गया

नशा के गड्डे में गिर गया l

 

नशा बुरा है समझ ये जाओ 

तन मन धन सब को बचाओं

 

लेखक / कवी

श्याम कुमार कोलारे

समाजिक कार्यकर्त्ता

चारगांव प्रहलाद, छिन्दवाड़ा

मोबाइल : 9893573770 

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