Tuesday, 6 July 2021
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नशा बुरा है
बीडी तम्बाकू गुटखा पान
मौत का है ये सब सामान l
सिगरेट की सुट्टी बनी है शान
धुँआ उडाये सब कुछ जान l
तंबाकू गुटखा जो जन खाते
मांगकर खाने सी न शरमाते
शराब जैसे पीते फैसन में l
पीकर पड़े रहते है खेतन में
हाथ काँपे , पैर लडखडाये
मुह इनके गली गलोच आये l
गांजा अफीम चरस भांग
करवाती है ये सब स्वांग l
धुँआ ने धड को चलनी किया
खांसे हर क्षण जैसे छय हुआ l
जवानी में बुड्डा बन गया
नशा के गड्डे में गिर गया l
नशा बुरा है समझ ये जाओ
तन मन धन सब को बचाओं
लेखक / कवी
श्याम कुमार कोलारे
समाजिक कार्यकर्त्ता
चारगांव प्रहलाद, छिन्दवाड़ा
मोबाइल : 9893573770
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