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नारी

नारी



 

ईश्वर की अनमोल कृति है  

नाम धरा है नारी

सर्वगुणों से पूरित करके

धरती पर उतारी l

ममता त्याग तपस्या का

सजीव रूप दे डारी

जिस घर मान हो नारी का

वो घर सदा रहे उजियारी l

अस्तित्व से है जीवंत जीवन

न होने पर सूना

पैर पड़े जब दर पर इसके

समृद्धि हुई है चौना l

श्रृंगार सोभना, ममता पूरित

परहितकारी है गुण समायें

अपना जीवन परे रखे ये

दूसरे का घर बसायें l

शब्द नहीं श्या मुखपटल में

सरस्वती निर्बल हो जाए

धन की देवी, अन्नपूर्णा कर है

गुणों से कुल का नाम बढ़ाए l

जिस घर सम्मान नारी का

उस घर शांति और खुशहाली

दुःख न छू सके वहाँ पर

होवे नित्य होली और दिवाली

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कवी/ लेखक

श्याम कुमार कोलारे

चारगांव प्रहलाद, छिन्दवाड़ा

मोबाइल - 9893573770

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