ऑनलाइन शिक्षा का बढ़ता चलन भविष्य में बन सकता है शिक्षा का मजबूत विकल्प
“पिछले कई सालो से छात्रो को ऑनलाइन शिक्षा दी जाती रही है लेकिन कोरोना महामारी ने ऑनलाइन शिक्षा में ला दिया अचानक एक बड़ा परिवर्तन”
कोरोना संक्रमण काल में लॉकडाउन के दौरान एक लम्बे समय तक स्कूल कालेज सभी बंद रहे है। बच्चों को शिक्षण कार्य से जोड़े रखने के लिए ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था की गई थी। कोरोना काल में प्रयोग के तौर पर शुरू हुई ऑनलाइन शिक्षा का चलन बढ़ा है। जो शिक्षा के क्षेत्र में काफी बेहतर विकल्प बनकर सामने आई। डेढ़ वर्ष से अधिक का समय हो गया जब से स्कूल सभी स्कूल-कालेज बंद हो गए थे। बच्चे को घर में रहकर ही मोबाइल, टेबलेट, कम्पूटर के माध्यम से पढ़ाई करने के लिए व्यवस्था की गई थी, इसमें मोबाइल के बहुत सारे एप्प का भी चलन बढ़ा है जिसमे व्हाट्सएप्प, टेलीग्राम, ज़ूम, गूगल मीट, वेबेक्स आदि के माध्यम से बच्चों को खूब शैक्षिक सामग्री पहुँचाई गई। बच्चों की शिक्षा प्रभावित होने पर विकल्प के तौर पर ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था शुरू की गई थी। शिक्षा के क्षेत्र में यह एक तरह से नया प्रयोग था। यह प्रयोग काफी हद तक सफल रहने से ऑनलाइन शिक्षा की नई राह खुली। कोरोना के केस कम होने पर पिछले साल लम्बे अन्तराल के बाद अगस्त माह से कक्षा 9 से 12 तक की कक्षा बच्चों की पढ़ाई के लिए खुली, अब 1 सितम्बर से कक्षा 6 से 8 के बच्चों के लिए कोरोना प्रोटोकाल का पालन करते हुए कक्षा का संचालन शुरू होने जा है इसके बाद भी ऑनलाइन शिक्षा का चलन कम नहीं हुआ । प्राथमिक कक्षाओं से लेकर उच्च शिक्षा, प्रोफेसनल कोर्स और कोचिंग में ऑनलाइन व्यवस्था चल रही है। अब देश के कई राज्यों में फिर से कोरोना के केस बढ़ रहे हैं।
कोरोना काल में ऑनलाइन शिक्षा बनी पढ़ाई का विकल्प
कोरोना काल में ऑनलाइन शिक्षा विकल्प के रूप में उभर कर सामने आया, लेकिन ग्रामीण परिवेश में नेटवर्क न होना बड़ी समस्या के रूप में सामने आया।अभी ग्रामीण भारत इन्टरनेट नेटवर्क की मजबूरी में पूर्ण नहीं हुआ है यह समस्या गाँव में तो रही ही है अभी भी बड़े शहरो में भी नेटवर्क दुर्बलता को देखा जा सकता है । दूसरी समस्या गरीब व मध्यम वर्गीय परिवारों के सामने आई कि उनके पास स्मार्ट फोन, कंप्यूटर या लैपटॉप जैसी सुविधाओं का अभाव रहा, जिस कारण इन परिवारों के बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा का शत प्रतिशत लाभ नहीं मिल सका। कोरोना काल में बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखने का एक मात्र विकल्प ऑनलाइन शिक्षा रहा है। माध्यमिक विद्यालयों में अधिकतर छात्र-छात्राएं ग्रामीण क्षेत्र से गरीब व मध्यम परिवार से होते हैं। इस कारण कहीं पर नेट वर्किंग तो कहीं पर स्मार्ट फोन आदि की समस्या सामने आई हैं। शिक्षकों की तरफ से बच्चों को ऑनलाइन व्यवस्था के तहत बेहतर शिक्षा देने की कोशिश की गई है।
कोरोना के बाद ऑनलाइन शिक्षा का बढ़ा चलन
भारत में पिछले कई सालो से छात्रो को ऑनलाइन शिक्षा दी जाती रही है लेकिन कोरोना वायरस की महामारी ने ऑनलाइन शिक्षा में अचानक एक बड़ा परिवर्तन ला दिया। इस वायरस की वजह से सभी लोगो को अपने घर में बंद होने की जरूरत पड़ी। इस समय दुनिया के सभी लोगों को शिक्षा प्राप्त करने का एक ही रास्ता दिखा, और वो था ऑनलाइन शिक्षा। इसी समय भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व को ऑनलाइन शिक्षा की आवश्यकता हुई और यहीं से ऑनलाइन शिक्षा बहुत प्रचलित हुई। हमारी स्कूलों और शिक्षकों ने भी शिक्षा को ऑनलाइन ले जाकर छात्रों तक पहुंचाने का फैसला किया। और वर्तमान में तो ऑनलाइन शिक्षा हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है ।
ऑनलाइन शिक्षा बनी चुनौती
वर्तमान समय में हमारे देश के अधिकांश नागरिकों की आर्थिक स्थिति बहुत ही कमजोर है। देश में कई लोग तो ऐसे है, जिन्हें दो वक्त का खाना भी नसीब नहीं होता। अब ऐसे लोग स्मार्टफोन, कंप्यूटर, लैपटॉप और इंटरनेट जैसी सुविधाए कहां से लाएंगे? और यह सभी सुविधाए ऑनलाइन शिक्षा के लिए अति-आवश्यक है। इसीलिए लॉकडाउन में भारत के कई गरीब छात्रों तक ऑनलाइन शिक्षा नहीं पहुंच पाई थी। भारत के कई गावों में आज भी बिजली नहीं है, इसलिए वहां पर इंटरनेट होने की संभावना बहुत कम रहती है। ऐसी जगहों पर भी ऑनलाइन शिक्षा का कोई महत्व नहीं है। ऑनलाइन शिक्षा में अध्यापक को छात्रों पर नियंत्रण रखना बहुत मुश्किल हो जाता है। क्योकि ऑनलाइन शिक्षा में छात्रो को शिक्षको का डर कम रहता है। इसकी वजह से कई छात्र अपना होमवर्क समय पर नहीं करते है। लेकिन अध्यापक स्कूल में छात्र पर नियंत्रण रख सकते है, इसलिए कक्षा में छात्र अनुशासित होकर पढ़ाई करते है। स्कूल में छात्र होमवर्क और क्लास वर्क दोनों समय पर करते है।
ऑनलाइन शिक्षा के फायदे-नुकसान
स्कूल में अध्यापक छात्रो पर हर वक्त नज़र रखते है। किन्तु ऑनलाइन क्लास में अध्यापक छात्रो पर सही से नज़र नहीं रख पाते। इसलिए कई बार छात्र ऑनलाइन क्लास के समय कुछ और कार्य कर रहे होते है। जिससे भी ऑनलाइन शिक्षा का कोई महत्व नहीं रहता। ऑनलाइन शिक्षा मे प्रेक्टिकल वर्क कभी नहीं हो सकता, जबके स्कूल में पढ़ाई के साथ-साथ और भी कई प्रतियोगिता कराई जाती है। जैसे की नृत्य, संगीत, योगा, खेलकूद, भाषण-लेखन प्रतियोगिता, सांस्कृतिक प्रोग्राम आदि में बच्चे भाग लेकर नई चीजे सीखते है। लेकिन ऑनलाइन क्लास में छात्रों को केवल स्कूल का कोर्स ही खतम कराया जाता है। इसलिए शिक्षक भी छात्रो पर सिर्फ अपना कोर्स खतम कराने पर ध्यान देते है। इस तरह ऑनलाइन शिक्षा के फायदे और नुकसान दोनों है। परंतु इसका उपयोग करने वाले पर यह निर्भर करता है कि, ऑनलाइन शिक्षा से फायदा लेना है या नुकसान।
ऑनलाइन शिक्षा के दोनों पहलू के लिए रहे सजग
ऑनलाइन शिक्षा में इतनी शक्ति है कि वर्तमान में भले ही दुनिया पर कोई नई आपदा आ जाए, लेकिन हमारे छात्र शिक्षा से दूर नहीं रहेंगे। लेकिन इसके नुकसान भी बहुत है। क्योंकि अगर छात्र पढ़ाई के दौरान कुछ गलत कार्य करे या गंदी साइट में चला जाए तो काफी गंभीर परिणाम हमे छात्रो में देखने मिलेंगे। इसीलिए हो सके उतना अपने बच्चो पर ध्यान रखे, खासकर इंटरनेट चलाते समय। फिर वो ऑनलाइन क्लास कर रहा हो या कोई और चीज़ देख रहा हो। तभी हम ऑनलाइन शिक्षा का सही उपयोग कर पाएंगे।
लेखक / विचारक : श्याम कुमार कोलारे, shyamkolare@gmail.com
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