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 कविता : इंसानियत

कविता : इंसानियत



किसी अंजान की निःस्वार्थ
मदद करना
और उससे कुछ भी ना चाहना,
इंसानियत होती है ।

दुःख, तकलीफ, जुल्म, परेशानी देना
शैतानो का काम होता है
देना हो तो हिम्मत दो, जस्बा दो,
मदद दो, सहायता दो !

इससे इंसानियत दिखती है
मर्द औरत को आदेश देता है
अधिकारी कर्मचारिओं को
मालिक मजदूर को आदेश देता है ।

आदेश का बड़ा चक्कर है यारो
यदि देना है तो परामर्श दें,
विनम्रता दें, सम्मान दें ।

आदर और नम्रता से
बड़े-बड़े कम बन जाते है
और अहंकार से
बने हुए काम भी बिगड़ जाते है ।

देख इंसानियत की कीमत
ये उसे ख़ास बना देता है   
इंसानियत इंसान को
महान बना देता है । 

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श्याम कोलारे 

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