कविता - प्यारे बापू गाँधी
// महात्मा गाँधी पुण्यतिथि विशेष //
बापू! प्यारे बापू तेरी युक्ति थी मजबूत
देश को सिखलाया जीने की तज्वीर
कम में गुजरा सादा जीवन थे इनके मंत्र
फेल हुए इसके सामने बड़े-बड़े सब तंत्र।
बड़ा जिगर था तेरा पक्का था ईमान
तेरे यत्न के सामने डरते थे सब बेमान
स्वदेश का पाठ पढ़ाने देश में आगे आये
खादी-चरखा स्वयं चलाकर स्वदेश अपनाये।
आधी धोती एक लाठी में जीवन दिया गुजार
स्वावलंबन में सारा जीवन, हरदम नवाचार
भाल पर तेज ऐसा था, जैसे चमकता सूर्य
वाणी में बड़ा प्रभाव था, था ये देश का नूर।
आजादी की तूफानी लहर तुमने खूब चलाई
देश प्रेम की अलख तुमने जलाई करिश्माई
आजादी का दीवाना था आजादी का परवाना
स्वाधीनता की चिंगारी को लक्ष्य था फैलाना।
तेरे आन्दोलन बड़े सफल थे लोहा सबने माना
सत्य अहिंसा के बाण से भेद निशाना डाला
बिन हथियार लड़ डाला देश की हर लड़ाई
अंग्रेजो से लोहा लेकर अपनी बात मनाई।
बड़ा कठिन दौर था बापू जिसदिन आपको खोया
आसमान का दहकता सूर्य भी उसदिन था रोया
सिसक-सिसककर देश रोया था हुआ था अनाथ
देश के निर्माण में अब तुम्हारा उठ गया था हाथ।
रोया उसदिन सारा देश था, अश्रु नही थमते थे
देश का लाल आज लाल हुआ था कैसे ये सहते
सन्देश सुनकर देश हो गया बड़ा बेहाल
कौन संभालेगा देश को ये बड़ा सवाल।
आपके दिशानिर्देशों में कर दिया कमाल था
आपके न रहते हुए, आपका अक्स का भान था
आपका चश्मा-लाठी करती रही मार्ग प्रशस्त
देश नहीं भूलेगा आपको बापू करते है आश्वस्त।
(स्वलिखित, मौलिक एवं अप्रकाशित)
लेखक
श्याम कुमार कोलारे
सामाजिक कार्यकर्ता, छिन्दवाड़ा (म.प्र.)
shyamkolare@gmail.com
0 Response to "कविता - प्यारे बापू गाँधी "
Post a Comment