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कविता- मेरा भारत वतन

कविता- मेरा भारत वतन

 

हर जन्म में मुझको, भारत वतन मिले
इसकी शान में मेरा, जन्म सफल बने
धूल भी इसकी ओषधि, हवा दवा बने
पेड़ो की शीतल छाँव से,दर्द सभी मिटे।

ज्ञान रस सम मिले गुरुग्रन्थ के पाठ से
भागवत के पद बाइबिल और कुरान से
हिन्द की फिजाओं में,वीरता की गाथा है
भाव सबके मन में देश का ऊंचा माथा है।

संस्कार संस्कृति में देश का नाम हो
जन गण मन श्रद्धा से सबका गान हो
ये देवभूमि संस्कारदानी मेघादानी हो
उपनिषदों के ज्ञान से प्रवीण धाम हो।

सदभाव की बस्ती में प्रेम प्रकाश सने
निःस्वार्थ भावना से हिलमिल सब रहे
जयति जन्म भूमि में भारत मुझे मिले
मरने के बाद भी तिरंगा कफ़न मिले ।

देश की शान में तन मन धन मेरा लगे
भारत भूमि की धूल  माथे मेरे सजे
हर जन्म में मुझको भारत वतन मिले
इसकी शान में मेरा  जन्म सफल बने।

लेखक
श्याम कुमार कोलारे
सामाजिक कार्यकर्ता, छिन्दवाड़ा(म.प्र.)
मोबाइल 9893573770

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