-->
कविता-बापू तुमको वापस आना होगा

कविता-बापू तुमको वापस आना होगा

जो दर्द मिला अपनों से मिला 
गैरों से शिकायत क्यों करें,
जो ज़ख्म फूलों ने दिए,
कांटों से शिकायत क्यों करें। 
बापू अच्छा हुआ तुम चले गए,
गर तुम जीवित होते,
यह भारत दशा देख 
आंखों से अश्रु बहते,
तुमने जिस चीज़ के लिए 
महीनों अन्न जल छोड़ा,
आज वही चीजें राजनीति के 
हथियार बन गए हैं।

बापू वो दिन गए जब 
लोग तुम्हें पसंद करते थे,
आज तुमसे ज़्यादा 
जिस कागज़ के टुकड़े पर 
तुम्हारे फोटो छपा है,
जिसे हम नोट कहते हैं,
लोग अपने दिल से 
लगा कर रखते हैं।
अब रिश्वत सृष्टाचार हो गई है,
अब रिश्वत सौ,दोसौ नहीं,
अब तो लाखों की बात हो गई है,
लोगों के घर से काले धन के 
अंबार निकल रहे हैं,
इसे इसे बचने लोग
नई -नई विसारत रच रहे है।

दिल रोता है बापू,
किसकी नज़र लग गई, 
हम किस ओर जा रहे हैं, 
हम कुछ समझ नही पा रहे है,
बापू तुझको वापस आना होगा,
देश की बिखरी हुई जिंदगीयों को 
फिर से सजाना होगा। 
फिर से देश मे वही देशभक्ति की
चिंगारी जलाना होगा
देश हित ने जीने को रगो में 
हिन्दुस्तानी लहू बहाना होगा
देशभक्त की कुर्वानी को 
फिर से याद दिलाना होगा,
बापू तुमको वापस आना होगा।

//श्याम कुमार कोलारे//
सामाजिक कार्यकर्ता, छिन्दवाड़ा(म.प्र.)

0 Response to "कविता-बापू तुमको वापस आना होगा"

Post a Comment

Ads on article

Advertise in articles 1

advertising articles 2

Advertise under the article