कविता- उम्मीद
उम्मीद जीवन का ताना-बाना, उम्मीद उजाला लाए
उम्मीद से नन्हा बालक , अपने पग से बढ़ता जाए
उम्मीद से होते दिन-रात है, ये चक्र आगे बढ़ते जाए
उम्मीद से सब आगे बढ़ते, जीवन पथ मजबूत बनाए।
साज की आवाज बने यह , हर सुर की बने है ताल
उम्मीद का दिया जलता है, करता है नित्य प्रकाश
उम्मीद से सब काम चले, इससे चलती धड़ की साँस
माँ बच्चों पर प्यार लुटाती, उम्मीद बनी इसका विश्वास।
हर मनोरथ की मुख्य कड़ी, आस सभी इससे जुड़ी है
उम्मीद बनाता लक्ष्य मनुज का, यही भेदन कराता है
जीवन पथ पथरीला है जन , उम्मीद सहज कराता है
हर संघर्ष दे नई सीख जब, उजाले पथ में लाता है ।
उम्मीद की सीडी चढ़ने से, मंजिल पास हो जाती है
सौ बार गिरने के बाद भी, चींटी पर्वत लाँघ जाती है
मत छोड़ो उम्मीद गगन का, बिन पर गोता लगाएगी
जीवन मर्म जान कर देखो, उम्मीद नए पंख लगाएगी।
अंधकार मिटाने सूर्य नही, नन्हा सा दिया भी काफी है
मन में हो तूफान जीत का, आसमान धरा पर आनी है
गोताखोर नित्य कूद भँवर में, तनिक भी न घबराते है
समुंदर की गहराइयों से, देखो मोती उठा ले आते है।
(स्वलिखित, मौलिक एवं अप्रकाशित रचना)
लेखक
श्याम कुमार कोलारे
सामाजिक कार्यकर्ता, छिन्दवाड़ा (म.प्र.)
मोबाइल 9893573770
0 Response to "कविता- उम्मीद"
Post a Comment