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 हम तो

हम तो



 हम तो

पहले  उनकी  हिचकियाँ  थे हम तो।
आज  अज़नबी  बन  गए है हम तो।

उनके  दिलमें  कोई   और   खुदा है
अपनी नज़रों में  काफ़िर  है हम तो।

चार  दीवार  रौनके  है हमारी  और
अपने  ही घर में  मेहमान है हम तो।

वो तो चले गए अब हम अपने लौट 
आनेके  इंतजार  कर  रहे है हम तो।

बची  ज़िंदगी  को आईने के सामने 
बिठा कर मौज से जी रहे है हम तो।

हम अपनी  साँसे रोक कर दिलको
आराम देने कि  सोच रहे है हम तो। 
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      नीक राजपूत 
  +919898693535

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