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युवाओं की अवहेलना पड़ सकती है समाज को भारी

युवाओं की अवहेलना पड़ सकती है समाज को भारी

 

युवाओं की भुजाओं में शक्ति का संचार,

भार धरा का उठाने देखो है तैयार l

तूफान को भी हाथों से एक तरफ करदें,

मन में ठान ले तो नया सृजन करदें ll

कहते है कि हर अवधि में देश और समाज को उन्नत बनाने के लिए सर्वप्रथम युवाओं को उन्नत एवं सक्षम बनाने के कार्य किया है; क्योकि युवाओं के हाथों में ही भविष्य का सृजन निहित है l युवाओं को जितना काबिल, कौशल युक्त, संस्कारवान और नैतिक बनाया जाये वह समाज को उतने ही वेग से प्रगतिशील बनाने में अपना योगदान देगा l हर समाज में युवाओं की कार्यशीलता एवं सहयोग से समाज को उन्नत शिखर तक पहचानें की सीढ़ी माना जाता है l इसी सीढ़ी के माध्यम से समाज अपने सामाजिक रीती-रिवाज, रहन-सहन, परम्पराएँ, वेश-भूषा, धार्मिक कार्य आदि का परिचालन को उन्नत तरीके से परिसंचालन किया जाता है l युवा अवस्था समय एवं उम्र का एक ऐसा पढ़ाव होता है जहाँ वह अपने वयस्क होने पर अपने आप को सब कुछ करने में सक्षम समझता है एवं अपनी शक्ति एवं कौशल के दम पुरानी चलायमान परिपाटी को समयानुसार परिवर्तन करने की चेष्टा करता है l और इस चेष्टा में यदि बड़े बुजुर्ग; युवाओं के सिर पर हाथ रखकर उनका मार्गदर्शन करें एवं उनके किये गए अच्छे कार्यों की समीक्षा कर उनको उचित सुधारात्मक सुझाव देते हुए उनके द्वारा किये गए कार्यों की सराहना करें तो निश्चित ही युवाओं का सामाजिक कार्य के लिए उत्साह बढेगा l “मैं इसमें अपना व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर कह सकता हूँ कि किसी भी समाज को सुधार करने के लिए समाज की आपसी एकता एवं विश्वास का होना नित्यांत आवश्यक है l

मध्यप्रदेश में नुन्हारिया मेहरा समाज की स्थिति भी कुछ ऐसी है जिसमे युवाओं की सक्रियता एवं निष्क्रियता का सजीव रूप से समाज में प्रभाव को देखा जा सकता है l  हर समय में समाज विकास का मुद्दा में बुजुर्गों का जमीनि स्तर पर सहयोग एवं कार्य करने में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है l इन्होने हर समाज में शुरुआत काम में चटाई बिछाने से लेकर जिला स्तर पर जन सहयोग से संगठन को मजबूत बनाने के लिए प्रचूर मात्रा में जन समर्थन जुटाकर सामाजिक विकास का डंका बजने का कार्य किया है l और आखिर करे भी क्यों न ! युवाओं के पास अपनी वर्तमान परिवेश में संचालित होने वाली प्रतिभा जो उनके सिर चढ़कर नवीन परिवर्तन के लिए फुंकार भरने के लिए हरदम ललाइत जो रहती है l बड़े-बुढ़ों को अपने उम्र के आनुसार तजुर्बा तो बहुत होता है परन्तु अपने समय के अनुसार भागा-दौड़ी करने में उनका शरीर उनका साथ नहीं देता है, वही युवाओं में तजुर्बे का आभाव होता है एवं अपने शक्ति एवं चुस्तता के साथ नया परिवर्तन की शक्ति होती है l “तजुर्बा एवं शक्ति का मेल गर हो जाए- तो किसी भी काम में आनंद देखा जा सकता है; संसार को उन्नति की जैसे पंख लगाकर उड़ा ले जाया जा सकता है l

मैंने सन 2010 से सामाजिक गतिविधियों में शामिल होना प्रारंभ कर दिया था परन्तु यह मेरे लिए बहुत ही अल्प मात्रा का कार्य था क्योकि इस समय टेक्नोलोजी आज जैसे मजबूत नहीं थी l कहीं सामाजिक बैठक होती थी, तो होने के बाद पता चलता था l बैठक में समाज के कुछ गिने-चुने वरिष्ठ एवं प्रभावशील लोगो का वर्चस्व था; शायद उस समय लोगो से जुडाव में कमी या जन जागरुकता का आभाव से समाज संघर्ष कर रहा था l किसी भी बैठक में उचित सुझाव, जानकारी को जन-जन तक पहुँचाना एवं समाज विकास के लिए मदद के लिए तैयार करना भी चुनौतीपूर्ण कार्य रहा है l मुझे अभी बहुत अच्छे से याद है कि मार्च 2017 में सुमित भावरकर छिन्दवाड़ा से मुझे फ़ोन आया कि और बताया गया कि हम सब छिन्दवाड़ा में हम नुन्हारिया मेहरा की युवा टीम बनने की सोच रहे है जिसमे समाज में युवाओं की सहभागिता एवं उनके उत्थान के लिए कार्य करने का एक मंच तैयार करना है l चूँकि समाज विकास के कार्य में रूचि थी इसलिए मैं अपनी सहभागिता के लिए जुड़ गया l युवा नुन्हारिया मेहरा समाज छिन्दवाड़ा से सामाजिक युवाओं को जोड़ने के लिए नुन्हारिया समाज का जिला में पहली बार एक व्हाट्सएप्प ग्रुप बनाया गया था जो आज पर्यन्त चल रहा हैl साथ ही साथ फेसबुक अकाउंट, फेसबुक पेज,ईमेल अकाउंट, वेवसाइट आदि का निर्माण किया गया था l यहाँ से युवाओं ने समाज को एक नई पहचान देने के लिए अपना दम लगा दिया l युवाओं में सुमित भवरकर नेतृत्व में युवा टीम का भी गठन किया जिसमे नुन्हारिया मेहरा समाज विकास समिति छिन्दवाड़ा के तात्कालिक अध्यक्ष श्री दशरथ सरनकर की अध्यक्षता में युवा टीम को अपना समर्थन एवं सराहना की गई थी l युवा टीम को समाज विकास एवं सामाजिक हर एक कार्यों में सम्मिलित होकर उन्नति के शिखर तक ले जाने का कार्य भलीभांति युवा टीम में किया l युवा टीम के अध्यक्ष के रूप में सुमित भावरकर, उपाध्यक्ष तरुण बुनकर, सचिव दिनेश भावरकर, सहसचिव आलोक कोलारे, कोषाध्यक्ष जीतेन्द्र चेचकर, प्रचार-प्रसार प्रभारी अंकुर कोलारे, सोनू पाटिल, विक्रम बुनकर, श्याम कोलारे, इन्द्रजीत भावरकर एवं धनंजय बुनकर की समिति ने जिला के अनेक युवाओं को संयोजित कर समाज विकास में अपनी सामाजिक चक्र को आगे बढ़ाया l

युवा टीम से अधिवक्ता दिनेश भावरकर ने समय-समय पर अपने समाज उन्मूलन सोच को लेकर बहुत से कार्यक्रम की रूपरेखा बनाई एवं उसको युवाओं की टीम के साथ क्रियान्वयन करने में अपना तन-मन-धन से कार्य करने के लिए तत्पर्य हुए l 2017 से 2020 तक समाज के अनेक विकासात्मक कार्यों में अपना योगदान से समाज में अपनी एक नई पहचान बनाई l उनके कई रचनात्मक कार्यों में सहभागिता से समाज में एक नई वैचारिक क्रांति आई l सन 2019-2020 में प्रथम एवं द्वितीय कोरोना लहर में सामाजिक रूप से आर्थिक एवं चिकित्सीय मदद के लिए सर्वप्रथम पहल आपके माध्यम से ही प्रारंभ हुआ जो अन्य युवा एवं वरिष्ठ सदस्यों के माध्यम से नुन्हारिया मेहरा कोरोना राहत कोष बनाकर, लोगो की मदद की गई जिसमे प्रथम लहर में 50 से अधिक राशन किट जरूरतमंदों तक युवाओं टीम के माध्यम से पहुँचाया गया एवं द्वितीय लहर में नुन्हारिया समाज कोरोना राहत टीम की तरफ से एवं युवा टीम में अधिवक्ता दिनेश भावरकर, सुमित भावरकर, श्याम कोलारे एवं वरिष्ठ सदस्यों की सहयता एवं समर्थन से 100 से अधिक राशन किट एवं कोरोना चिकित्सा सहायता किट से मदद की गई l जिसमे सेवा सहयोग संगठन छिन्दवाड़ा से 40 से अधिक राशन किट का सहयोग के लिए अधिवक्ता दिनेश भावरकर एवं युवा टीम की पहल एवं निवेदन से समाज के बहुत से लोगो की मदद की गई l समाज में ऐसे बहुत से युवा है जिनका नाम अभी भी गर्त में है जिन्होंने समाज विकास में अपना अमूल्य सहयोग से समाज की गाडी को उन्नति के शिखर तक ले जाने का कार्य किया है l

समाज में एक मजबूत स्तम्भ के रूप में शुरू से ही युवाओ की सहभागिता से समाज को एक नया मुकाम मिला है l नुन्हारिया मेहरा समाज आज से नहीं अपितु आजादी से पहले यानि सन 1940 से पहले तात्कालिक युवाओं के नेतृत्व में कार्य करना प्रारंभ किया गया थाl सभी के इस स्तम्भ को मजबूती प्रदान किये है l हमारे पूर्वजों ने इस स्तम्भ का निर्माण एवं इसकी उन्नति का दायित्व भलीभांति संभाला एवं यह स्तम्भ को पीढ़ी-दरपीढ़ी युवाओं के हाथो में सौपा गया गया l समय एवं सस्कृति आनुसार तात्कालिक युवाओं ने समाज में अपनी सहभागिता से नुन्हारिया समाज का गौरवशाली स्तम्भ को सशक्त बनाने का कार्य किया है l युवाओं में भले ही तजुर्बा की कमी हो सकती है परन्तु वरिष्ठों के सुझाव, मार्गदर्शन एवं दिशानिर्देश से आज के परिवेश के सापेक्ष में उत्तम कार्य किया जा सकता है, वश उनको उचित अवसर देने की आवश्यकता है जिससे युवा अपने साथ-साथ समाज के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सके l                                                                                          

( यह लेख लेखक के व्यक्तिगत विचार है)

 

लेखक / सामाजिक विचारक

 

श्याम कुमार कोलारे

चारगांव प्रहलाद, छिन्दवाड़ा

shyamkolare@gmail.com 

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