नई शिक्षा नीति से पढ़ेगा और बढ़ेगा भारत, प्राथमिक शिक्षा पर मुख्य फोकस कर बच्चों का संज्ञानात्मक, बौद्धिक, शारीरिक विकास के साथ बुनियादी भाषा एवं बुनियादी गणित की समझ को विकसित करना पहला लक्ष्य
नई शिक्षा नीति (New Education Policy) से पढ़ेगा और बढ़ेगा भारत, प्राथमिक शिक्षा पर मुख्य फोकस कर बच्चों का संज्ञानात्मक, बौद्धिक, शारीरिक विकास के साथ बुनियादी भाषा एवं बुनियादी गणित की समझ को विकसित करना पहला लक्ष्य
अतीत से भारत एक ऐसा देश रहा है जिसने युगों-युगों तक दुनिया को ज्ञान का प्रकाश दिखाया। वैदिक काल में दुनिया के लिए भारत एक विश्व गुरु था। हमारे वैदिक आचार्य एवं मुनियों ने भारत को समृद्ध बनाने के लिए एवं दुनिया को सर्वोच्च बनाने के लिए कार्य किया है l भारत में शिक्षा को बढावा देने के लिए बड़े स्तर पर कार्य किया गया एवं इसकी कई उपलब्धियाँ भी हासिल की है l 2011 की जनगणना अनुसार भारत में साक्षरता दर 74.04 फीसदी है, जो की 1947 में मात्र 18 फीसदी थी। परन्तु भारत की साक्षरता दर विश्व की साक्षरता दर 84 फीसदी से कम है। भारत में साक्षरता के मामले में पुरुष और महिलाओं में काफ़ी अंतर है जहां पुरुषों की साक्षरता दर 82.14 फीसदी है वहीं महिलाओं में इसका आकड़ा केवल 65.46 फीसदी है। महिलाओं में कम साक्षरता का कारण परिवार और आबादी की जानकारी कमी है। भारत मे साक्षरता पहले के अपेक्षा काफी बेहतर हुई है। जहां तक मानना है कि आने वाले 15 से 20 सालों में भारत की वैश्विक साक्षरता दर 99.50 फीसदी होने की सम्भावना है।
हम सभी ने शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए जरुर यह नारा सुना होगा “क ख ग घ को पहचानो अलिफ़ को पढ़ना सीखो। अ आ इ ई को हथियार बनाकर लड़ना सीखो”। फिर नारा आया.. 'कोई न छूटे इस बार, शिक्षा है सबका अधिकार', 'स्कूल चलें हम' और पढ़ेंगी बेटियां, बढ़ेंगी बेटियां। इन्हीं नारों में आजादी के बाद के सात दशकों में शिक्षा के क्षेत्र में हुए कई क्रांतिकारी परिवर्तन झलकते हैं। ये परिवर्तन अभी भी जारी हैं। सुनहरे अतीत में भी भारत एक ऐसा देश रहा है, जिसने युगों-युगों तक दुनिया को ज्ञान की ज्योति से रास्ता दिखाया। वैदिक काल में दुनिया के लिए भारत एक विश्व गुरु था। बौद्ध काल में नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्व प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में लोग दूर-दूर से आते थे।
प्राथमिक शिक्षा पर मुख्य फोकस कर नई शिक्षा निति के तहत कार्य किया जाना है जिससे बच्चों का बुनियादी भाषा एवं बुनियादी गणित की समझ को विकसित की जा सके l वैसे पिछले 75 साल में शिक्षा में बहुत काम किया गया है लेकिन असर जैसी रिपोर्ट दिखाती है कि अभी भी कक्षा 5 के आधे बच्चे ही कक्षा 2 स्तर का पाठ पढ़ पा रहे है, कोरोना महामारी के कारण हुए लर्निंग लोस भी अहम चुनौती है, हमें प्राथमिक शिक्षा में काफी काम करने की जरूरत है। बच्चों के अंतर्गत मूलभूत भाषा एवं साक्षरता की समझ होना बहुत महत्वपूर्ण है। जिसके माध्यम से वह भविष्य में बेहतर शिक्षा प्राप्त कर पाएंगे। एनसीईआरटी द्वारा एक सर्वे का आयोजन किया गया था। जिसके माध्यम से यह पता लगा था कि बच्चे पांचवी कक्षा तक की शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी पाठ को समझकर पढ़ने में सक्षम नहीं होते हैं।
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