पड़ोस का घर
कहते हैं कि हजार रिश्तोदारो से अच्छा हमारे घर का पड़ोसी होता हैं रिश्तेदार काम नहीं आते जब हमारे ऊपर मुसीबतें आती हैं ।
यही सच हैं चाहे हमारे दिल मे तकलीफ़ क्यूँ न हो यही सही बात हैं पड़ोसी एक सच्चा रिश्तेदार होता हैं ।
मैं पापा को रात में देखकर बहुत परेशान थी की रात को पापा क्यूँ रो रहे थे ।
ये बात मेरे दिमाग मे बार बार घूम रही थी कि ऐसा क्या हो गया जो पापा किसी को नहीं बता रहे हैं सिर्फ़ औऱ सिर्फ़ रोये ही जा रहे थे ।
मनु सोच सोच के बहुत परेशान थी ऐसा क्या हो गया अचानक की पापा रोये ही जा रहे थे ।
मम्मी तो ठीक ही हैं पर पापा को कौन सी परेशानी खाये जा रही हैं ,
मनु सोची की मैं सुबह होते ही पापा के रूम में जाकर के जरूर बात करूंगी की पापा क्या परेशानी हैं मनु को ये बात बहुत खाये जा रही थी ।
औऱ वो डर भी रही थी कि ऐसी क्या बात हो गयी जो पापा ने किसी को नहीं बताया मुझे तो छोड़ो उन्होंने मम्मी से तक नहीं बताया कल मैं जरूर बात करूंगी ।
सुबह ही उठते मनु अपने पापा के रूम में गयी पर रूम में मनु के पापा नहीं थे मनु ने पूरे घर मे आवाज़ दी कि पापा पापा आप कहाँ हो मुझे आप से बात करनी हैं ।
मनु की माँ बोली कि बेटा आज तो तेरे पापा बहुत ही जल्दी में थे आज वे बिना नाश्ता करे ही ऑफिस के लिए निकल गए हैं ।
न ही नाश्ता किया हैं औऱ न खाना लेकर के गए हैं मनु सोचने लगी कि ऐसा क्या हो गया है जरूर ही परेशानी हैं जो मेरे पापा को बहुत परेशान कर रही हैं वो सोची की आज वो अपने पापा को ऑफिस में ही क्यूँ न जाकर नाश्ता दे आऊं औऱ बात भी कर लुंगी की रात को आप को क्या हो गया था आपको पापा मनु ने अपनी माँ से बोली कि मम्मी मैं सोच रही हूं कि अपनी दोस्त के घर हो आऊँ बहुत दिनों से मैं उससे मिली नहीं हूं औऱ साथ मे पापा जी को नाश्ता भी देती आऊंगी आप बोलो तो मनु की माँ बोली कि बेटा ये सही कह रही हो तुम अपने पापा को नाश्ता दे आना औऱ साथ ही अपनी दोस्त से मिल आना मनु ने अपनी कार निकाली औऱ अपने पापा के ऑफिस की तरफ मुड़ गयी औऱ पापा के ऑफिस जा पहुँची उसने क्या देखा आचानक की पापा मेज़ पर लेटे हैं औऱ डॉक्टर उसके पापा को देख रहे हैं वो देखते ही रो पड़ी की ऐसा क्या हो गया हैं पापा को की उन्होंने घर मे किसी से तक नहीं बताया औऱ पूरा दर्द अपने ही ऊपर ले लिया ऐसी क्या मुसीबत आ पड़ी की उन्होंने माँ को तक बताना जरूरी नहीं समझा वो वही से ही वापस आ गयी औऱ नाश्ता को फेंक दिया औऱ वो रोती रही औऱ सोचती रही कि डॉक्टर पापा के ऑफिस में क्या कर रहे थे पापा मेज़ में क्यूँ लेते थे मनु की दीमाग में बहुत सी बातें घूम रही थी ।
बार बार वो अपनी दोस्त के घर आ गयी औऱ उसने रोना बन्द कर दिया औऱ सोची की मैं घर मे जाकर के मम्मी से क्या कहूंगी जब मम्मी मुझसे पूछेगी की पापा को नाश्ता दे आई तब मनु की दोस्त मनु को पानी दिया औऱ पूछा कि मनु तुम मुझे आज थोड़ा सा परेशान क्यूँ लग रही हो कोई बात हैं क्या तुम्हारे दिल मे जो मुझे थोड़ा परेशान दिख रही हो यार तुम मनु मुस्कुराते हुए बोली कि नहीं सब ठीक हैं यार अब मैं घर जा रही हूँ मनु की दोस्त बोली कि अभी तो तुम आई हो यार अभी ही क्यूँ जा रही हो कुछ परेशानी हैं तो तुम मुझे बता सकती हो पर मनु कुछ नहीं बोली सीधे बाहर को आ गयी औऱ कार चला के धीरे अपने घर मे आ गयी औऱ मनु की माँ अंदर रूम में आराम रह रही थी औऱ मनु अपनी मम्मी के पास जा बैठी औऱ मनु की माँ बोली कि बेटा दे आई अपने पापा को नाश्ता मनु ने बोला कि हां माँ मैं दे आई हूं पापा जी को नाश्ता मनु की माँ कहती हैं कि बेटा तुम भी कुछ खा लो सुबह से कुछ खाया नहीं हैं तुमने मनु बोली कि माँ मुझे एक भी भूख नहीं हैं ।
औऱ अपने रूम में आ गयी मनु औऱ लेट गयी औऱ बार बार उसके दिमाग मे एक ही बात घूम रही थी कि पापा रात को क्यूँ रो रहे थे औऱ पापा जी के ऑफिस में आज डॉक्टर क्या कर रहे थे ।
मनु कुछ समझ नहीं पा रही थी कि क्या करे किससे बात करे कि उसे सब पता चल जाये।
उसे कार की आवाज़ सुनाई दी कि कोई आया हैं उसने बाहर आ कर देखा कि पापा आ गए हैं मनु ने क्या देखा कि पापा बहुत खुश दिखाई दे रहे हैं औऱ मुस्कुरा रहे हैं पर ऐसा क्यूँ परेशान हैं तब भी क्यूँ वो बार बार क्यूँ मुस्कुरा रहे हैं ये बात मनु को अंदर ही अंदर खाये जा रही थी मनु के पापा बोले कि औऱ बेटा कैसी हो खाना पीना हो गया आज तो मैं नाश्ता ही करना भूल गया था क्यूंकि आज मेरी ऑफिस में मीटिंग थी मनु सोचने लगी कि पापा इतना झूठ क्यूँ बोल रहे हैं मनु के पापा अंदर चले गए रूम में औऱ लेट गए ।
अब तो मनु औऱ परेशान हो गयी कि पापा ने ऐसा क्यूँ बोला जरूर कोई बहुत ही बड़ी बात हैं पर कैसे पता करू मै मेरे तो कुछ समझ मे ही नहीं आ रहा हैं ।
मनु रात भर सोचती रही औऱ सिसक सिसक के रोती रही रात भर की पापा को कुछ हो तो नहीं गया हैं कि मम्मी परेशान न हो शायद वे इसलिए ही नहीं बता रहे हो कुछ हम लोगो को मैं क्या करूं रात भर मनु यही सोचती रहीं औऱ सुबह हो गयी ।
मनु के दीमाग में रात भर यही बात घूमती रही ।
उसने दीमाग लगाया औऱ सोचा कि क्यूँ न मैं पापा के फोन से डॉक्टर अंकल का नंबर निकाल लू औऱ पूछ लुंगी क्या बात हैं मनु धीरे धीरे अपने पापा के रूम में गयी औऱ उनकी जेब से उनका फ़ोन निकाल लिया औऱ धीरे से डॉक्टर का नंबर निकाल लिया औऱ अपने रूम आ गयी ।
छत पर जा कर के मनु ने डॉक्टर को फ़ोन लगाया पर उनका फोन बंद आ रहा था अब वो सोची की अब मैं क्या करूं यार नंबर भी बंद आ रहा हैं उसने फिर से फ़ोन लगाया फिर कॉल जाने लगी औऱ डॉक्टर ने फोन उठाया औऱ मनु ने बोला कि औऱ अंकल जी आप कैसे हैं डॉक्टर बोले कि बेटा मैं तो बिल्कुल अच्छा हूँ ।
आप बताओ कैसी हो मेरी गुड़िया रानी मनु बोली कि डॉक्टर अंकल कल जब मैं अपने पापा के ऑफिस गई थी तो मैंने आप को अपने पापा के ऑफिस में देखा था क्यूँ अंकल जी पापा की तबीयत तो ठीक हैं ना डॉक्टर सोचने लगा कि मैं इसे कैसे पता सकता हूँ कि इसके पापा अब नहीं बचेंगे कुछ ही दिनों के मेहमान हैं ।
मनु बार बार डॉक्टर अंकल से पूछती रही पर डॉक्टर ने कुछ भी नहीं बताया कि क्या हुआ हैं ।
फिर मनु फोन में ही रोने लगी डॉक्टर अंकल बोले कि बेटा रो ना मेरे अभी तुम क्लीनिक आ जाओ मैं यही हूँ ।
मनु जल्दी जल्दी कार निकाला औऱ डॉक्टर के क्लीनिक पहुच गयी ।
औऱ रोती रही डॉक्टर के पास आ गयी औऱ मनु बोली कि ऐसी क्या बात हैं आप मुझे बता दीजिए ना मैं दो दिन से बहुत परेशान हूं वो बेचारी पूरा समय सिसक सिसक कर रोती रही औऱ डॉक्टर को देखकर दया आ गयी डॉक्टर ने कहां की बेटा अब बहुत देर हो चुकी हैं ।
मनु बोली कि क्या हुआ है क्यों देर हो चुकी हैं मुझे आप साफ साफ बताइये क्या बात हैं डॉक्टर ने बोला कि बेटा आप के पापा को टी वी की बीमारी हैं अब बचाना बहुत ही मुश्किल हैं ।
मैंने तुम्हारे पापा को एक महीने से ही कह रहा था कि आप अपना इलाज करवा लीजिए पर तुम्हारे पापा ने नहीं कराया फिर जा के मनु के दीमाग में एक बात आ गयी औऱ सोचने लगी कि 5 दिन ही पहले पापा ने नया घर लिया हैं 50 लाख का अब तो उनके पास पैसे ही नहीं होंगे शायद इसीलिए वो अपना इलाज न करवा रहे हो मनु ने ये बात डॉक्टर को बता दी और बेचारी रोती रही डॉक्टर सोचने लगा अच्छा शायद इसीलिए आपके पापा ने अपना इलाज इसीलिए नहीं कराया शायद उनके पास इलाज के लिए पैसे न हो अब तो बेटा समय बहुत निकल चुका हैं किसी भी समय वे मर सकते हैं ।
वो बहुत बहुत रोने लगी औऱ बेहोश हो गयी डॉक्टर सोचा कि अब मैं क्या करूँ सोच रहा हूँ बिटियां रानी को उसके घर छोड़ दूं औऱ वही से अपने घर निकल जाऊँगा डॉक्टर ने अपनी कार निकाली औऱ मनु को कार में बैठाया औऱ मनु के घर छोड़ दिया कार में ही मनु को होश आ गया था ।
मनु अंदर गयी अपने पापा के रूम में पापा सो रहे थे मनु की माँ बोली कि बेटा लगता हैं आज तेरे पापा बहुत थक गए हैं लगता हैं इसीलिए आज ज्यादा ही आराम कर रहे हैं मनु समझ गयी कि शायद पापा अब नही रहे पर उसको भरोसा था कि पापा मुझे औऱ मम्मी को अकेले छोड़कर नहीं जा सकते ।
मनु की माँ बोली कि जाओ बेटा पापा को जगा दो की नाश्ता ठंडा हो रहा हैं मनु धीरे धीरे अपने पैर आगे करती बढ़ती गयी औऱ उसने बोला कि पापा चलो नाश्ता कर लो मम्मी बुला रही हैं आपको पर वो क्या देखती हैं कि पापा की सास चलना बंद हैं वो तेज तेज से रोने लगी औऱ मम्मी बोली कि क्या हो गया ऐसे क्यूँ रो रही है ।
मनु , मनु की माँ मनु के पास गयी औऱ देखा ही मनु के पापा की सास एक दम बंद हैं औऱ वो समझ गयी कि वो नही रहे इस दुनियां में औऱ तेज तेज चिल्ला चिल्ला के रोने लगी कि आप हम दोनों को ऐसे कैसे छोड़कर जा सकते हैं ।
ऐसा क्या हो गया कि आप इस दुनियां में नहीं रहे एक ही दिन में अचानक क्या हो गया मनु की माँ रो रोकर मनु से बोली कि बेटा ऐसा क्या हो गया तेरे पापा को मनु ने बताया कि उस दिन जब मैं पापा को नाश्ता देने गयी थी कि मैंने देखा था कि डॉक्टर अंकल पापा के ऑफिस में थे फिर मैंने डॉक्टर अंकल के क्लीनिक गयी तब जा कर के डॉक्टर ने बताया कि आपके पापा को एक महीने से बहुत तबियत खराब हैं उन्हें टीबी की बीमारी हैं पर इन्होंने समय से अपना इलाज नहीं करवाया ।
मनु की माँ सोच में पड़ गयी कि मैंने ही इन्हें मजबूर किया था इतना महंगा घर लेने के लिए वो अपने आप को क़सूर बार पान रही थी औऱ बहुत बहुत रोने लगी उसी समय उनके घर के पड़ोसी आ गए ।
औऱ बोले कि अब किसी भी चीज की जरूरत हो तो हमे बता दीजिगा औऱ मनु की माँ बोली कि मेरा पति नहीं रहा अब मैं औऱ मेरी बेटी किसके सहारे जियेंगे!
मनु की माँ सिसक सिसक के बहुत रोई
औऱ बोली कि जब तबियत ठीक नहीं थी तो नया घर क्यूँ लिया मेरे लिए तो मेरी सबसे पहले मेरी मांग का सिंदूर जरूरी था ।
पर आपने एक बार भी क्यूँ बताया सही नहीं समझा मै आप के लिए बहुत कुछ कर जाती आप एक बार तो बताते मुझे मनु की माँ बहुत ही सिसक सिसक कर बहुत रोई ।
लेखक - (प्रियंका गुप्ता), बांदा _ उत्तर प्रदेश
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