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कविता : उठो देश के वीर जवानों

कविता : उठो देश के वीर जवानों


उठो देश के वीर जवानों, मैं तुम्हें जगाने आया हूँ,
देश-धर्म के खातिर जीवन, मैं तुम्हें बताने आया हूँ,
जोश तुम्हारे सीने में, मैं वो तूफान जगाने आया हूँ,
जज्बात धड़कते दिलों के, मैं तुम्हे बताने आया हूँ।

भगतसिंह राजगुरु सुभाष की, भान कराने आया हूँ,
शहीदे हिन्द की जिद की, मैं याद दिलाने आया हूँ,
कंधे तुम्हारे सख्त करो, तुम मुट्ठी को मजबूत करो,
देश तुम्हे पुकार रहा, देश के लिए कुछ काम करो। 

राह तुम्हारी एक करो, इरादों को मजबूत करो,
आजादी के दीवानों, आजाद बताने आया हूँ,
रहा परतंत्र देश हमारा, पड़ी गुलामी की जंजीरे,
जकड़े थे बेड़ी पगो में, मैं याद दिलाने आया हूँ।

बड़े जतन से पाई आजादी, सींच लहुँ की कुर्वानी,
नम आँखों से हम देखे थे, जलिया वाला बाग़ को,
असंख्य गोली से छलनी पड़े, शांत कर आवाज को,
अब न हो कोई मजबूर ऐसा, मैं टेर लगाने आया हूँ।

हिन्द को जय हिन्द कराने, मैं बात बताने आया हूँ,
जकड़ ली महंगाई ने , जमाखोरी अब आम हुई,
भ्रष्टाचारी फल-फूल रहे, ईमानदारी अब नम हुई,
हे गाँधी के दीवाने, मैं तुमसे आस लगाने आया हूँ।

चला दो अमन की हवाएँ, मैं गुहार लगाने आया हूँ,
लाचार न हो कोई कर, मजबूत बनाने आया हूँ,
उठो देश के वीर जवानों मैं तुम्हे जगाने आया हूँ,
देश धर्म के खातिर जीवन, मै तुम्हे बताने आया हूँ।


(स्वलिखित मौलिक एवं अप्रकाशित रचना)
लेखक
श्याम कुमार कोलारे
सामाजिक कार्यकर्ता, छिंदवाड़ा (म.प्र.)
मोबाइल 9893573770

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