कविता- सफलता की आगाज (start of success)
Sunday, 24 April 2022
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कविता- सफलता की आगाज
घुंगरू की तरह खनकना है
तो तुम्हे पाँजे बनना होगा
थिरकन हो ऐसी पावों की
जान पूरी लगाना होगा।
आगाज हो ऐसी ध्वनि में
सिंह सी दहाड़ हो
उड़ जाए सब तिनके
सांसों में ऐसी तूफान हो।
बस बदल डालो अपने को
ऊँचे सबके जज़्बात हो
कठिन नही तूफान मोड़ना
बाजुओं में अपनी ताकत हो।
हो जाये आसान कस्ती को
सही दिशा में ले जाना
हौसला जब बुलंद हो
कस्ती को मंजिल ले जाना।
आओ फिर से शरुवात करे
नए सपनो संजोने की
उगता सूर्य फिर से देखे
आगे रास्तो में बढ़ जाने की।
जब बढ़ ही गए रास्ते मे आगे
तो फिर क्यों रुकना है हमे
मजबूत करलो इरादों को
सफलता के हर कदम जमे।
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लेखक
श्याम कुमार कोलारे
छिंदवाड़ा, मध्यप्रदेश
मोबाइल 9893573770
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