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 हम एक बने हम नेक बने

हम एक बने हम नेक बने

हम एक बने हम नेक बने

(वर्तमान परिपेक्ष में एक होने का संदेश देती पंक्ति)

//स्वरचित कविता - श्याम कुमार कोलारे//


हम एक बने हम नेक बने
हममें हो गाढ़ा, भाईचारा
हम एक वृक्ष की डाल है
एक ही सबका बसेरा।
एक भूमि एक ही जल है
हवा का एक ही झौका
हम नही अलग किसी से
न दें अलग होने का मौका।

आपसी मतभेद भले हो 
मनभेद कभी भी हो ना
आपस मे गर लड़ जाये तो
हानि हमी को है होना।
हम एक बने हम नेक बने
हम में हो गाढ़ा भाईचारा
हम सबका कंधा थामें
बन जाएं सबका सहारा ।

मत भूलो ये गाँव हमारा
एक परिवार है न्यारा
इसे सजाने हम सब आयें
गाँव हमारा प्यारा।
बन्द हमारी मुट्ठी हो तो
मजबूत कदम बढ़ाएंगे
खुली गर मुट्ठी तो
जल्द बर्वाद हो जाएंगे।

घर मे बहुत सदस्य है होते
मुखिया एक ही होता
परिवार के सब संकट खेता।
हर सदस्य गर मुखिया होंगे
फूट वहाँ पड़ जायेगी
अर्जित संपदा बहुत भले हो
कुछ काम न आयेगी।

इसलिए प्यारे 
हम एक बने हम नेक बने
हम हो गाढ़ा भाईचारा
अस्तित्व में हम रहना है तो
एक दूजे का बनो सहारा।

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