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स्वास्थ्य सेवा में लापरवाही सरकारी अस्पतालों की सेवाओं पर लगा रही प्रश्न चिन्ह

स्वास्थ्य सेवा में लापरवाही सरकारी अस्पतालों की सेवाओं पर लगा रही प्रश्न चिन्ह

 अस्पताल सरकारी हैं,
 बस हाथी के दाँत।
 लापरवाही घोर वहाँ,
 होती है दिन-रात।

आए दिन टीवी चैनलों एवं अखबारों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों एवं सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों की लापरवाही की खबरें टीवी चैनलों पर दिखाई जाती है एवं अखबारों में ऐसी खबरें छपती रहती हैं,कभी ऑपरेशन के दौरान मरीज के पेट में रूई छूट जाती है,तो कभी ऑपरेशन के औजार,जब ऐसी घटनाएं घटती हैं,जिसको दंड मिलना चाहिए वह तो बरी हो जाता है,और गाज गिरती है,नर्सों और वार्ड बॉयो पर, ऐसी ही घटना मध्य प्रदेश में देखने को मिली,जैसे पीर बाबा भभूति देकर हर मर्ज का इलाज करते हैं,वैसे ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के वार्ड बॉय ने ऐसा कारनामा कर दिखाया,जिसको सुनकर,जिसको देखकर,बड़े-बड़े चिकित्सक हैरान हो गए,सुना था, गर्भनिरोधक आबादी को बढ़ने से रोकता है,वही मध्य प्रदेश के मुरैना जिले की पोरसा तहसील में एक नया अविष्कार किया है, गर्भनिरोधक के पैकेट को चोट पर लगाने से खून रुक जाता है, किसी ने सही कहा है,अजब है, गजब है,हमारा मध्य प्रदेश,जब ढाई लाख की आबादी वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में केवल दो चिकित्सक होंगे, एक भी कंपाउंडर नहीं होगा तो वार्ड बॉय डॉक्टर एवं कंपाउंडर का रोल अदा करते हुए देखे जा सकते हैं।  एक ऐसी घटना जो सामने आई है,जिसकी वजह से मुरैना जिले की पोरसा तहसील सुर्खियों में है, जहां एक महिला रेशमा बाई आयु 70 वर्ष वह अपने घर में सो रही थी,दीवार पर रखी ईंट रेशमा बाई के सिर पर गिर गई,जिसके कारण उसके सिर पर गहरा घाव हो गया और खून के फव्वारे बहने लगे, रेशमा बाई के परिजन रात के समय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर गए,वहां ड्यूटी पर मौजूद चिकित्सक ने रेशमा बाई के ज़ख्म को देखा,चिकित्सक ने वहां मौजूद वार्ड बॉय से पट्टी बांधने को बोला,सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पट्टी तो मौजूद थी,पर रुई नहीं,खून को रोकने के लिए वार्डबॉय ने रुई की जगह गर्भनिरोधक का पैकेट रखकर महिला के सिर पर पट्टी बांध दी, वार्ड बॉय का काम अलग होता है और कंपाउंडर का काम अलग जब आप कंपाउंडर के जगह वार्ड बॉय से यह काम करवाएंगे तो जग हंसाई वाली घटनाएं होती रहेंगी । हर वर्ष मध्य प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च करती है,मध्य प्रदेश ने वर्ष 2021के बजट में 15622 करोड़ रुपए आवंटित किए थे,और यह पूरी राशि स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर खर्च की गई,अन्य राज्यों के स्वास्थ्य क्षेत्र पर खर्च की बात करें तो छत्तीसगढ़ अपने कुल बजट का 5.75 फीसदी,राजस्थान 6.48 फीसदी,बिहार 5.96 फीसदी,हिमाचल प्रदेश 5.92 फीसदी,पंजाब 2.77 फीसदी, महाराष्ट्र 3.93 फीसदी और गुजरात 5.06 फीसदी स्वास्थ्य क्षेत्र पर खर्च कर रहा है। वहीं केंद्र सरकार स्वास्थ सुविधाओं के नाम पर 2.38 लाख करोड़ खर्च करती है,हेल्थ केयर क्वालिटी में हमारा देश 180 देशों में 145 वें नंबर पर है,रुई की जगह गर्भनिरोधक का पैकेट लगाकर खून रोकने की कोशिश करते रहेंगे,तो वह दिन दूर नहीं हम 145 नंबर से 180 के नंबर पर आ जाए गौरतलब है,कि भारत में अब भी हेल्थकेयर की क्वॉलिटी और पहुंच दुनिया के 180 देशों की लिस्ट में 145वें नंबर पर आती है, नेशनल हेल्थ पॉलिसी के मुताबिक, 2025 तक पब्लिक हेल्थ पर देश की जीडीपी का 2.5 प्रतिशत रकम खर्च होनी चाहिए, लेकिन 2020-21 में यह 2 प्रतिशत से भी कम था,भारत इस मामले में दुनिया के सबसे खराब परफॉर्म करने वाले देशों में शामिल है । नतीजा यह है कि स्वास्थ्य सेवाओं पर होने वाले खर्च का दो तिहाई हिस्सा अभी मरीज अपनी जेब से खुद भरते हैं,एक अनुमान के मुताबिक जब स्वास्थ्य पर जीडीपी का 3 प्रतिशत हिस्सा खर्च होगा,तो मरीज की जेब से खर्च का हिस्सा एक तिहाई ही रह जाएगा ।

मोहम्मद जावेद खान 


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