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दीप ज्योति संस्कृति का द्योतक दीपावली

दीप ज्योति संस्कृति का द्योतक दीपावली

 दीप ज्योति संस्कृति का द्योतक दीपावली


पुरणों , उपनिषदों एवं सनातन धर्म तथा जैन , बौद्ध  धर्म ग्रंथों में दीपावली का उल्लेख किया गया है । उत्तरी गोलार्द्ध शरद ऋतु  कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या  में प्रत्येक  वर्ष मनाया जाने वाला  सनातन संस्कृति का त्यौहार दीपावली है । दीपावली दीपों का त्योहार तथा आध्यात्मिक रूप से यह 'अन्धकार पर प्रकाश की विजय'  दर्शाता है । दीपावली को दीपावली , दीप दिवस , काली पूजा, दीपावली , सुखरात्रि , मोक्ष दिवस (जैन), बंदी छोड़ दिवस , माता लक्ष्मी अवतरण दिवस , राजा बलि का पाताल लोक का राज्याभिषेक दिवस , भगवान राम का अयोध्या आगमन 14 वर्षो के बाद आगमन दिवस , जैन धर्म के लोग महावीर के मोक्ष दिवस तथा  तथा सिख धर्म में  बन्दी छोड़ दिवस मनाते है।दीपावली के अवसर पर नेपाल, भारत, श्रीलंका, म्यांमार, मारीशस, गुयाना, त्रिनिदाद ,टोबैगो, सूरीनाम, मलेशिया, सिंगापुर, फिजी, पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया की बाहरी सीमा पर क्रिसमस द्वीप पर सरकारी अवकाश होता है।भारत के विभिन्न क्षेत्रों में  बिहार , झारखंड , उत्तरप्रदेश ,मध्य प्रदेश , राजस्थान , गुजरात के दिवाली ,  'दीपावली' (उड़िया), दीपाबॉली'(बंगाली), 'दीपावली' (असमी, कन्नड़, मलयालम:, तमिल: और तेलुगू), 'हिन्दी,दिवाली, मराठी:दिवाळी, कोंकणी:दिवाळी,पंजाबी), 'दियारी' (सिंधी:दियारी‎), और 'तिहार' (नेपाली) मारवाड़ी में दियाळी कहा गया है ।  पद्म पुराण और स्कन्द पुराण में दीवाली का उल्लेख में पहली सहस्त्राब्दी के दूसरे भाग में किन्हीं केंद्रीय पाठ को विस्तृत कर लिखे गए थे। दीये (दीपक) को स्कन्द पुराण में सूर्य के हिस्सों का प्रतिनिधित्व करने वाला माना गया है । भगवान सूर्य जीवन के लिए प्रकाश और ऊर्जा का लौकिक दाता है और वैदिक और विक्रम पंचाग  अनुसार कार्तिक माह में अपनी स्तिथि बदलता है । कुछ क्षेत्रों में हिन्दू दीवाली को यम और नचिकेता की कथा के साथ  हैं। नचिकेता की कथा के अनुसार सही बनाम गलत, ज्ञान बनाम अज्ञान, सच्चा धन बनाम क्षणिक धन आदि के बारे में बताती है; पहली सहस्त्राब्दी ईसा पूर्व उपनिषद में लिखित है। दिवाली के दिन श्री राम चन्द्र जी ने माता सीता को रावण की कैद से छुटवाया था, तथा फिर माता सीता की अग्नि परीक्षा लेकर 14 वर्ष का वनवास व्यतीत कर अयोध्या वापस लोटे थे। जिसके उपलक्ष्य में अयोध्या वासियों ने दीप जलाए थे, तभी से दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है। 7 वीं शताब्दी के संस्कृत नाटक नागनंद में राजा हर्ष ने  दीपप्रतिपादुत्सवः कहा है । दीये जलाये जाते  और नव वर-बधू को उपहार दिए जाते थे। 9 वीं शताब्दी में राजशेखर ने काव्यमीमांसा में  दीपमालिका कहा है ।  घरों की पुताई और तेल के दीयों से रात में घरों, सड़कों और बाजारों सजाया जाता था। फारसी यात्री और इतिहासकार अल बेरुनी, ने भारत पर ११ वीं सदी के संस्मरण में, दीवाली को कार्तिक महीने में नये चंद्रमा के दिन पर हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला त्यौहार कहा है। दीपावली नेपाल और भारत में सबसे सुखद  है। लोग अपने घरों को साफ कर उन्हें उत्सव के लिए सजाते हैं। नेपालियों का  नेपाल संवत में नया वर्ष शुरू होता है। दीपावली नेपाल और भारत  स्वयं और अपने परिवारों के लिए कपड़े, उपहार, उपकरण, रसोई के बर्तन आदि खरीदते हैं।

  भगवान विष्णु ने दीपावली में राजा बलि को पाताल लोक का स्वामी बनाया  और इन्द्र ने स्वर्ग को सुरक्षित जानकर प्रसन्नतापूर्वक दीपावली मनाई थी। भगवान विष्णु ने नरसिंह रुप धारणकर हिरण्यकश्यप का वध किया था।

 समुद्रमंथन के पश्चात लक्ष्मी व धन्वंतरि प्रकट हुए थे। इसी दिन माता काली भी प्रकट हुई थी इसलिए बंगाल में दीपावली के दिन कालिका की पूजा होती  है। भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। कहते हैं कि श्रीराम रावण का वध करने के 21 दिन बाद अयोध्या लौटे थे। राम विजयोत्सव के रूप में दीप जलाए जाते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध करने के पश्चात दीप जलाए गए थे। भगवान महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस  है। जैन मंदिरों में निर्वाण दिवस मनाया जाता है। 

गौतम बुद्ध के अनुयायियों ने 2500 वर्ष पूर्व गौतम बुद्ध के स्वागत में लाखों दीप जला कर दीपावली मनाई थी। उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य का राजतिलक हुआ था।गुप्तवंशीय राजा चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने 'विक्रम संवत' की स्थापना करने के लिए धर्म, गणित तथा ज्योतिष के दिग्गज विद्वानों को आमन्त्रित कर मुहूर्त निकलवाया था। अमृतसर में 1577 में स्वर्ण मन्दिर का शिलान्यास हुआ था। दिवाली में  सिक्खों के छ्टे गुरु हरगोबिन्द सिंह जी को कारागार से रिहा किया गया था। आर्यसमाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती का निर्वाण हुआ था। नेपाल संवत में नया वर्ष आरम्भ होता है । बादशाह अकबर द्वारा 100 फीट ऊंची बाँस को रंगीन कर आकाशदीप प्रज्ज्वलित कर दीपोत्सव मनाया गया था । दीवाली को कैंडिल दिवस कहा गया है ।सांझा संस्कृति का द्योतक  दीपावली  हैं

सत्येंद्र कुमर पाठक

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