-->
मेहरा/महार जाति का इतिहास । The history of cast Mehra/Mahar

मेहरा/महार जाति का इतिहास । The history of cast Mehra/Mahar

मेहरा/महार जाति का इतिहास । The history of cast Mehra/Mahar

उच्च जाति के लोग को कहते सुना है कि अब क्यों ऊंचनीय  बातें  करते हो ,अब तो वो युग नहीं है, काल नहीं क्रूर जाति प्रथा को मानने नहीं है। राजा राज, रियासत जागीरदार, जमीदार, मालगुजार नहीं ठेट ब्राह्मण,ठाकुर नही है। फिर क्यों बीति बातो को उखाड़ते हो, व्यर्थ की क्यों चर्चा करते हो। आजादी मिली है, सब को शिक्षा मिल रही है। सब शिक्षित हो रहे है, जातिवाद मिट रहा है छुआछूत मिट गया है। जाति पर बेवजह विवाद करते हो। हां कुछ हद तक उनकी बातें सही लगती हैं। बाबा साहेब डॉ. बी. आर. आम्बेडकर का समतामयी संविधान मिला है किंतु वे पुराने सामाजिक, राजनैतिक धार्मिक जातिवादी साहित्य, आज भी जैसे के वैसे है 100 प्रतिशत आरक्षण वाली वैदिक पाठशाला, मंदिर के पुजारी, पुरोहिताई प्रथा,व्यास गद्दी पर बैठने का अधिकार,चारो पीठो के शंकराचार्य का आरक्षण, प्रचलन आज भी है। आज भी जाति की श्रेष्ठता जैसे के वैसे कायम है। उच्च जातियों में मानवता को कलंकित करने वाले दुर्दात खूंखार दरिंदे वेखौप पनप रहे है। ऐसा समूह है जिन्हें निम्न जाति के लोगों का घोड़ी पर बैठना मंजूर नहीं है. आज मी निम्न जाति ने मूंछे रखी तो उसकी हत्या कर दी जाती है। निम्न जाति की महिलाओं से दुष्कर्म कर मार दिया जाता। हाल ही जब पूरा भारत आजादी का 75 वां अमृतमहोत्सव मना रहा था राजस्थान के जालौर जिला के सुराणां गांव में एक 8साल के निम्न जाति के मासूम को इसलिए पीटपीट कर हत्या कर दी जाती है क्योकि उसने उच्च जाति के शिक्षक के मटके को छू दिया था। ऐसी अनगिनत हृदय को दहला देने वाली घटनाए है। जिनका उल्लेख असंभव है। अतः यह स्पष्ट है कि आज भी जाति वर्ण का घोर कलंक भारत माता के ऊपर लगा हुआ है। उसे धोना जरुरी है। सामाजिक कालिख को नष्ट करने के लिए जागरुक समाज को, जातिवाद के उन्मूलन की चर्चा करना चाहिए साथ ही इस घोर कलंक को मिटाने के लिए सभी समतावादी मानवों को संगठित होकर मानवतावाद को स्थापित करने का प्रयास करना चाहिए। पुरानी जातिवादी आरक्षण व्यवस्था, पुरोहिताई तथा धार्मिक ग्रंथों में संशोधन आवश्यक है। संविधान और शासन की मंशा भी है। मानवता वादी बुद्ध की शिक्षा उद्देश्य की पूर्ति में सहायक है। राष्ट्र के विकास में सक्षम है ऐसा मेरा मत है। निम्न जातियों के उत्थान के लिए उनके इतिहास को जनजन तक पहुंचाना ,जातिगत विसंगति को नष्ट कर उच्च मानवता वादी व्यवस्था की ओर जनमानस को आकृष्ट करना हमारा उद्देश्य हैं।

इतिहास कहता है कि तथाकथित निम्न समझी जाने वाली महार जाति ने जातीय गुलामी की जंजीर तोड़ने में महत्वपूर्ण योगदान किया है। दमनकारी पेशवाओं के साम्राज्य को नेस्तनाबूद कर वाले वीर महारो योध्दाओ के गौरवशाली इतिहास को जानना जरुरी है।जिज्ञासा मानव मन का स्वाभाविक गुण है। प्रत्येक मनुष्य के मन तिक व मानवीकृत रचनाओं को जानने की जिज्ञासा होती ही रहती है। वह जानना चाहता है कि भारत में ही मानव को वर्ण जाति के आधार पर ऊँचनीच में किसने बाँटा है? जाति किसने बनाई है? क्यों बनाई? कब से जाति वर्ग परंपरा बनी है? आदि ऐसे विचार हर मनुष्य को सोचने के लिए विवश करते हैं। इसी श्रंखला ने जम्बूद्वीप की प्राचीन जाति परंपरा और महार जाति का इतिहास लिखने का मन मे विचार के जागा। समाज को जाति संबन्धी जानकारी देने की प्रेरणा ने प्रामाणिक  प्राचीन सामाजिक धार्मिक ब्राह्मण इतिहास सहित शिलालेखो का अध्ययन किया। बुजगों से जानकारियां एकत्रित कर उन्हें सूत्रबद्ध करने की हिम्मत जुटाई। 

मानव समाज का परममित्र विज्ञान है। एतिहासिक जानकारी से ज्ञात हुआ कि युद्ध कर विजेताओं ने अपने कानून बनाये, पुराने इतिहास को नष्ट किया। अपनी जीत को अक्षुन्न बनाये रखने के लिये पूर्व की संस्कृति को नेस्तनाबूद किया। जीतकर हारे हुए वीर्यवान बलशाली योद्धाओं को आश्रय विहीन कर उनके अधिकार छीने।शिक्षा काअधिकार छीना। बंदी बनाकर मुफ्त में मात्र जीवित रहे इतना भोजन आदि दिया। अपंग जीवित मूर्दे गुलाम बनाये। आज भी यही स्थिति होने जा रही है। शासन एवं सम्पन्न लोगों द्वारा निशुल्क भोजन वस्त्र एवं मनोरंजन की सामग्री वितरित कर रहे है। इससे वीर्यवान गौरवमय इतिहास के रचिता नाग महार समाज शस्त्रहीन नपुंसक भीड़ किसी. की दया और करुणा के पात्र बनकर, दिशाहीन न. बन जाय निठ्ठले कर्म श्रम विहीन भिख मंगे न बन जाये। इस षड्यंत्री जाल से बचने के लिए समाज के उत्थान के लिए तथा प्राचीन मेहनतकस श्रमिक शिल्पकार यौद्धाओं को जगाने के लिए एतिहासिक गौरवमय इतिहास पाठको को समर्पित कर रहा हूँ ।

            जम्बूद्वीप की जाति परंपरा और महारों के इतिहास के लेखन में सहयोग करने वाले संदर्भित साहित्य लेखकों, शिलालेखों तथा जातिगत इतिहास की जानकारी देने वाले सभी सामाजिक कार्यकर्ताओं का कृतज्ञ हूं। और आभारी हूं। अंत में पत्नी आयुष्णति सुशीला आठनेरिया का चिरऋणि हूं जिन्होंने अपने अमूल्य जीवन में से समय निकाल कर इस कार्य को आकार देने में सक्रिय सहयोग दिया। पुस्तक सरल, सुबोध, आसानी से सभी को समझ में आये ऐसी भाषा में लिखने का प्रयास है। ज्ञान असीमित है, त्रुटि संभव है, इसलिए ज्ञान जिज्ञासु पाठक गण क्षमा करने की कृपा करेंगें।

|| भवतु सब्ब मंगलं ।।

लेखक:- डॉ. पी. आर. आठनेरिया

0 Response to "मेहरा/महार जाति का इतिहास । The history of cast Mehra/Mahar"

Post a Comment

Ads on article

Advertise in articles 1

advertising articles 2

Advertise under the article