युवा शक्ति देश और समाज
Saturday, 13 May 2017
Comment
युवा शक्ति देश और समाज
युवा शक्ति देश और समाज की रीढ़ होती है. युवा देश और समाज को नए शिखर पर ले जाते हैं. युवा देश का वर्तमान हैं, तो भूतकाल और भविष्य के सेतु भी हैं. युवा देश और समाज के जीवन मूल्यों के प्रतीक हैं. युवा गहन ऊर्जा और उच्च महत्वकांक्षाओं से भरे हुए होते हैं. उनकी आंखों में भविष्य के इंद्रधनुषी स्वप्न होते हैं. समाज को बेहतर बनाने और राष्ट्र के निर्माण में सर्वाधिक योगदान युवाओं का ही होता है. देश के स्वतंत्रता आंदोलन में युवाओं ने अपनी शक्ति का परिचय दिया था.
देखने में आ रहा है कि युवाओं में नकारात्मकता जन्म ले रही है. उनमें धैर्य की कमी है. वे हर वस्तु अति शीघ्र प्राप्त कर लेना चाहते हैं. वे आगे बढ़ने के लिए कठिन परिश्रम की बजाय शॊर्टकट्स खोजते हैं. भोग विलास और आधुनिकता की चकाचौंध उन्हें प्रभावित करती है. उच्च पद, धन-दौलत और ऐश्वर्य का जीवन उनका आदर्श बन गए हैं. अपने इस लक्ष्य को प्राप्त करने में जब वे असफल हो जाते हैं, तो उनमें चिड़चिड़ापन आ जाता है. कई बार वे मानसिक तनाव का भी शिकार हो जाते हैं. युवाओं की इस नकारत्मकता को सकारत्मकता में परिवर्तित करना होगा.
यदि युवाओं को कोई उपयुक्त कार्य नहीं दिया गया, तब मानव संसाधनों का भारी राष्ट्रीय क्षय होगा. उन्हें किसी सकारात्मक कार्य में भागीदार बनाया जाना चाहिए. यदि इस मानव शक्ति की क्रियाशीलता को देश की विकास परियोजनाओं में प्रयुक्त किया जाए, तो यह अद्भुत कार्य कर सकती है. जब भी किसी चुनौती का सामना करने के लिए देश के युवाओं को पुकारा गया, तो वे पीछे नहीं रहे. प्राकृतिक आपदाओं के समय युवा आगे बढ़कर अपना योगदान देते हैं, चाहे भूकंप हो या बाढ़. युवाओं ने सदैव पीड़ितों की सहायता में दिन-रात परिश्रम किया.
युवाओं के उचित मार्गदर्शन के लिए अति आवश्यक है कि उनकी क्षमता का सदुपयोग किया जाए. उनकी सेवाओं को प्रौढ़ शिक्षा तथा अन्य सराकारी योजनाओं के तहत चलाए जा रहे अभियानों में प्रयुक्त किया जा सकता है. वे सरकार द्वारा सुनिश्चित लक्ष्यों की प्राप्ति के दायित्व को वहन कर सकते हैं. तस्करी, काला बाजारी, जमाखोरी जैसे अपराधों पर अंकुश लगाने में उनकी सेवाएं ली जा सकती हैं. युवाओं को राष्ट्र निर्माण के कार्य में लगाया जाए. राष्ट्र निर्माण का कार्य सरल नहीं है. यह दुष्कर कार्य है. इसे एक साथ और एक ही समय में पूर्ण नहीं किया जा सकता. यह चरणबद्ध कार्य है. इसे चरणों में विभाजित किया जा सकता है. युवा इस श्रेष्ठ कार्य में अपनी क्षमता और योग्यता के अनुसार भाग ले सकते हैं. ऐसी असंख्य योजनाएं, परियोजनां और कार्यक्रम हैं, जिनमें युवाओं की सहभागिता सुनिश्चत की जा सकती है. युवा समाज में समाजिक, आर्थिक और नवनिर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. वे समाज में प्रचलित कुप्रथाओं और अंधविश्वास को समाप्त करने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं. देश में दहेज प्रथा के कारण न जाने कितनी ही महिलाओं पर अत्याचार किए जाते हैं, यहां तक कि उनकी हत्या तक कर दी जाती है. महिलाओं के प्रति यौन हिंसा से तो देश त्रस्त है. नब्बे साल की वॄद्धाओं से लेकर कुछ दिन की मासूम बच्चियों तक से दुष्कर्म कर उनकी हत्या कर दी जाती है. डायन प्रथा के नाम पर महिलाओं की हत्याएं होती रहती हैं. अंधविश्वास में जकड़े लोग नरबलि तक दे डालते हैं. समाज में छुआछूत, ऊंच-नीच और जात-पांत की खाई भी बहुत गहरी है. दलितों विशेषकर महिलाओं के साथ अमानवीयता व्यवहार की घटनाएं भी आए दिन देखने और सुनने को मिलती रहती हैं, जो सभ्य समाज के माथे पर कलंक समान हैं. आतंकवाद के प्रति भी युवाओं में जागृति पैदा करने की आवश्यकता है. भविष्य में देश की लगातार बढ़ती जनसंख्या का पेट भरने के लिए अधिक खाद्यान्न की आवश्यकता होगी. कृषि में उत्पादन के स्तर को उन्नत करने से संबंधित योजनाओं में युवाओं को लगाया जा सकता है. इससे जहां युवाओं को रोजगार मिलेगा, वहीं देश और समाज हित में उनका योगदान रहेगा.
स्वामी विवेकानंद ने युवाओं का आह्वान करते हुए कठोपनिषद का एक मंत्र कहा था-
'उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत।'
अर्थात उठो, जागो और तब तक मत रुको, जब तक कि अपने लक्ष्य तक न पहुंच जाओ.'
निसंदेह, युवा देश के विकास का एक महत्वपूर्ण अंग है. युवाओं को देश के विकास के लिए अपना सक्रिय योगदान प्रदान करना चाहिए. समाज को बेहतर बनाने और राष्ट्र निर्माण के कार्यों में युवाओं को सम्मिलित करना अति महत्वपूर्ण है तथा इसे यथाशीघ्र एवं व्यापक स्तर पर किया जाना चाहिए. इससे एक ओर तो वे अपनी सेवाएं देश को दे पाएंगे, दूसरी ओर इससे उनका अपना भी उत्थान होगा.
0 Response to "युवा शक्ति देश और समाज"
Post a Comment