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जनभागीदारी समिति

जनभागीदारी समिति

जनभागीदारी समिति


समाज की प्रथम आवश्यकता धन संग्रह व्यवस्था सही तरीके से लागू करना है
जनभागीदारी द्वारा सदस्यों से एकत्र एवं सक्षम सदस्यों की अतिरिक्त आय जो अन्यथा दान , परोपकार सहायता आदि में अनिवार्य न होते हुए भी व्यय हो जाती है, 
राशि के बराबर शासन सहायता प्राप्त होती है 
एक उदाहरण:
मेहरा समाज की जनसंख्या ५० हजार से ५ लाख के मध्य मानते हुए ,
१० हजार सदस्यों की रु १० हजार प्रति सदस्यता शुल्क से रु १० करोड़ +१० करोड़ (शासन सहायता)
कुल रु २० करोड़ से , २० स्टार्ट-अप रु १ करोड़ प्रत्येक प्रारंभ किए जा सकते हैं ,
सबसे पहले
२०% सामुदायिक सेवा अर्थात रु १-१ करोड़ के ४ स्टार्ट-अप क्रमशः भोजनालय,चिकित्सालय-दवा दुकान, विद्यालय, आश्रम, समाज सदस्यों के लिए निःशुल्क रहेंगे तथापि अन्य लोगों को सशुल्क सेवा उपलब्ध कराई जाएगी,
उपलब्ध १८ स्टार्ट-अप ,आवश्यकता उपयोगिता आधारित पारदर्शी चयन से लिए जाएंगे,
भोजनालय समाज के सदस्यों एवं समाज के कार्यक्रमों, सम्मेलनों की व्यवस्था हेतु उत्तरदायित्व ग्रहण करेगा,
चिकित्सालय एवं दवा आनलाईन सदस्यों की आवश्यकता पूरी करेंगे,
विद्यालय प्रथमतः १५ वर्ष वय के विद्यार्थियों का ३ वर्ष का शिक्षा प्रशिक्षण कोर्स जिसमें
औपचारिक शिक्षा १२ वीं तक,
कौशल विकास प्रशिक्षण,
भौतिक,मानसिक, आध्यात्मिक कार्यक्रम होंगे,
आश्रम
समाज के वरिष्ठ सदस्यों की आध्यात्मिक साधना, समाज सदस्यों की आस्था,विश्वास अनुकूल विकसित किया जाएगा, समाज के एवं अन्य समाजों के सदस्य उपरोक्त स्थानों पर चंदा-दान दे सकते हैं,
धन संग्रह, आय, आदि, एकीकृत, इ-प्रणाली,
स्वयंशासी संस्थान द्वारा संचालित होगा.
समाज के सदस्यों की इच्छा योग्यता अनुसार विभिन्न विषयों के पृथक एवं एकीकृत परियोजना कार्य प्रारंभ किये जाएँगे, जैसे:
कपड़ा व्यवसाय का स्टार्ट-अप
₹१ करोड़ का टर्न-अोव्हर
₹५ लाख की मार्जिन मनी से खुल जाता है
समाज के वस्त्र आवश्यकता देखभाल इसकी जिम्मेदारी है
इस स्टार्ट-अप के पास १० हजार ग्राहक शुरू से हैं,
मिनरल जल संयंत्र,
सदस्यों के जल,ऊर्जा, स्वास्थ्य,
फ्लाई-एश प्लांट,इत्यादि
याद रखें प्रत्येक स्टार्ट-अप के पास १० हजार ग्राहक हैं.
जनभागीदारी के माध्यम से अधोसंरचना, विकास कार्य बड़े पैमाने पर शीघ्रता से सफलतापूर्वक किए जा सकते हैं
आवश्यकता है एक मन होने की, एक दूसरे से सहमत होने की, मिलकर कुछ काम करने का जज्बा होने की,
व्यवस्थित कार्य करने की,
अगर यह स्वप्न भी है तो समाज का स्वप्न सुंदर, सुरक्षित है देखने में क्या हर्ज ?? बनत बनत बन जाए.
क्या आप इसमें भाग लेना चाहेंगे.
विषय लिखें.
विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन (डीपीआर), सीपीएम, पर्ट,
मानव संसाधन,सामग्री सुझाव सहयोग पर .
शेष शुभ.
जय हो..


साभार 
सर्व मेहरा समाज समन्वय मंच 

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