-->
'भीमा नदी’ के तट पर बसा  गाँव  ‘भीमा – कोरेगांव’ पुणे ( महाराष्ट्र ) की कहानी

'भीमा नदी’ के तट पर बसा गाँव ‘भीमा – कोरेगांव’ पुणे ( महाराष्ट्र ) की कहानी

'भीमा नदी’ के तट पर बसा  गाँव  ‘भीमा – कोरेगांव’ पुणे ( महाराष्ट्र ) की कहानी  // 

01 जनवरी 1818 का  ‘ठंडा’ दिन दो ‘सेनाएं’  आमने - सामने,   '28000 सैनिकों'  सहित  ‘पेशवा बाजीराव – II (2)  के  विरूद्ध,  ‘बॉम्बे नेटिव लाइट इन्फेंट्री’ के  '500 महार सैनिक' / 
‘ब्राह्मण’ राज बचाने की फिराक में, ‘पेशवा’ और  'दूसरी तरफ',  ‘पेशवाओं’ के पशुवत  ‘अत्याचारों’ का ‘बदला’  चुकाने की ‘फिराक’  में  'गुस्से'  से तमतमाए
'500  महार'  के बीच  'घमासान युद्ध’  हुआ  /  जिसमे  ‘ब्रह्मा’ के मुँह से,  ‘जनित’ ( पैदा हुए ) '28000  पेशवा’  की  '500 महार योद्धाओ'  से शर्मनाक ‘पराजय’ हुई / 
हमारे सिर्फ  '500 योद्धाओं'  ने,   '28000 पेश्वाओं (ब्राह्मणों) का  'नाश'  कर दिया  और ईसके साथ ही,  भारत से  'पेश्वाई'  खत्म कर दी  ऐसे  'बहादुर'  थे 'हमारे पुरखे'  और  ऐसा हमारा  'गौरवशाली ईतिहास'  है /   सब से पहले उन  '500 ‘महार’( पूर्वजों ) सैनिकों'  को  'प्रणाम'  करो,  ..... क्यों ... ??
क्योंकि ........  उस  ‘हार’  के बाद, ......... 
1.)   ‘पेशवाई’  खत्म  हो गयी थी | 
2 )  ‘अंग्रेजो’ को इस भारत देश की,  ‘सत्ता’ मिली |
3 )  ‘अंग्रेजो’ ने इस भारत देश में, ‘शिक्षण’ का  'प्रचार/प्रसार'  किया,  जो  ‘हजारो’ सालों से,  ‘बहुजन समाज'  के लिए ‘बंद’ था |
4 )   ‘महात्मा फुले’ पढ़ पाए,  और इस देश की   'जातियता'  को समझ  पाऐ |
5 )  अगर  ‘महात्मा फुले’ न  'पढ़ पाते',  तो   ‘शिवाजी महाराज’  की  ‘समाधी’  कैसे  ‘ढूँढ’  निकालते  | 
6 )  अगर  ‘महात्मा फुले’ न  ‘पढ़ पाते',   तो  ‘सावित्री बाई’ कभी इस देश की  'प्रथम  महिला  शिक्षिका’  न बन सकती थी | 
7 )  अगर  ‘सावित्री बाई’,  न  ‘पढ़ पाई'  होती तो,  इस देश की  ‘महिला’,  कभी भी  न 'पढ़'  पाती |
8 )  ‘शाहूजी महाराज ’,   कभी  ‘आरक्षण’ न दे पाते /  
9 )  ‘डॉ. बाबा साहब आम्बेडकर',  कभी न ‘पढ़’ पाते |
10 )  अगर  '1 जनवरी, 1818'  को,   '500  महार सैनिकों'  ने   '28,000 ‘ब्राम्हण’ ( पेशवाओं ) को,  'मार'  न डाला होता तो ... !!!
 आज हम लोग कहा पे होते ... ??

आज भी  'भीमा कोरगाँब'  में,  'विजय स्तम्भ'  खड़ा है और उसके  ऊपर,  उन हमारे  'शुरवीर',  'बहादुर', और  'वतन परस्त',   'महार सैनिको' के नाम'  जो उस  'युद्ध'  में  'शहीद'  हुए थे, उनके नाम उस पर  लिखे  हुए हैं  //

सोचो !!  .........  28000 ÷ 500  =  56,  के हिसाब से, हमारे एक  'महार सैनिक'  ने  'अकेले'  ने ही  '56 पेशवाओ'(ब्राह्मणों)  को,  'काट'  डाला था / 
कहीं  ऐसा  'देखा',  'सुना'  या  'पढ़ा'  है,  ऐसे  'योद्धाओं'  के बारे में,   'नहीं' ना ??
क्योंकि  ..... भारत में,  'ब्राह्मनो'  का  'राज' चलता है और वे कभी नही चाहते कि,  हमारे  'वीरो की कहानी'  हम तक पहुचे //
.........  जय भीम। .........  जय  भारत  //

Keep  in  mind,  Never  forget  the  history  of our  ‘Forefathers’ ...!!!    If  today,   YOU  forget  the  ‘History’,  then  coming  generations  will  also  forget  the  ‘History’ ... !!!        

           ………  AND  ……..   
‘Dr. Baba Sahib  Ambedkar’,  used  to  pay  tributes  to  500   ‘Mahars’   ( Forefathers )  on  the  ‘1st  Janaury’  of  every  year ... !!!          ……….. 
By  :-->   
Manish  Gangurde

0 Response to "'भीमा नदी’ के तट पर बसा गाँव ‘भीमा – कोरेगांव’ पुणे ( महाराष्ट्र ) की कहानी "

Post a Comment

Ads on article

Advertise in articles 1

advertising articles 2

Advertise under the article