अभिभावकों क्या 4-6 वर्ष के बच्चे को अभी डॉक्टर, इंजीनियर, sp, कलेक्टर बना देँगे ?
Wednesday 18 December 2019
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हाल ही में एक समाचार में पढ़ा कि 10 वर्षीय छात्र की हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई। केवल 10 वर्ष की उम्र में! सुनकर आश्चर्य नही होता कि 10 वर्ष का बच्चा का हार्ट अटेक कैसे हो सकता है। इसकी विस्तार से पड़ताल करने पर डॉक्टरों ने बताया है कि
1:- बच्चे को सुबह कच्ची नींद में उठाना
(नींद पूरी नही होना)
2:- बगैर नाश्ता करवायेस्कूल भेजना
3:-बच्चे के कुल वजन से ज्यादा स्कूल बैग ले जाना
4:-स्कूल का होमवर्क कम्प्लीट न होने पर टीचर का प्रेशर
5:- ठंडा लंच न खा पाना
6:-स्कूल से आते ही नहाना जबरन भोजन करवाना
7:-बगैर आराम किये घर में होमबर्क कम्प्लीट करने का फिर बच्चे पर प्रेसर
*इत्यादि इत्यादि इत्यादि*
अभिभावकों क्या 4-6 वर्ष के बच्चे को अभी डॉक्टर, इंजीनियर, sp, कलेक्टर बना देँगे ?
आप देखो आप कितने पढे लिखे है एवं आपने कब स्कूल जाना शुरू किया, आप उस मासूम बच्चे की जान के पीछे क्यों पड़े है!
हम केवल एक दूसरे की होड़ में बच्चों का बचपन मार रहे है !
आप जवान है आप अगर मर्द है तो सुबह 5 बजे उठ कर ढाई बजे तक रेगुलर काम करके दिखाए और फिर भोजन करके तुरन्त फिर काम करके दिखायें !
छोटे से मासूम बच्चों के साथ इतना अन्याय जो आज पूरा देश कर रहा है क्या सही है?
अपने दिल पर हाथ रख कर विचार करिए आप एक मासूम के साथ कितना अन्याय कर रहे है हम बच्चों का बचपन और उनकी स्वाभाविक विकास प्रक्रिया से वंचित कर रहे हैं
प्रिय अभिभावकों से निवेदन है कि इन मासूम बच्चों पर दया करें ! आराम और खेलने का पर्याप्त समय दें।
संकलन
पुष्पा कोलारे
1:- बच्चे को सुबह कच्ची नींद में उठाना
(नींद पूरी नही होना)
2:- बगैर नाश्ता करवायेस्कूल भेजना
3:-बच्चे के कुल वजन से ज्यादा स्कूल बैग ले जाना
4:-स्कूल का होमवर्क कम्प्लीट न होने पर टीचर का प्रेशर
5:- ठंडा लंच न खा पाना
6:-स्कूल से आते ही नहाना जबरन भोजन करवाना
7:-बगैर आराम किये घर में होमबर्क कम्प्लीट करने का फिर बच्चे पर प्रेसर
*इत्यादि इत्यादि इत्यादि*
अभिभावकों क्या 4-6 वर्ष के बच्चे को अभी डॉक्टर, इंजीनियर, sp, कलेक्टर बना देँगे ?
आप देखो आप कितने पढे लिखे है एवं आपने कब स्कूल जाना शुरू किया, आप उस मासूम बच्चे की जान के पीछे क्यों पड़े है!
हम केवल एक दूसरे की होड़ में बच्चों का बचपन मार रहे है !
आप जवान है आप अगर मर्द है तो सुबह 5 बजे उठ कर ढाई बजे तक रेगुलर काम करके दिखाए और फिर भोजन करके तुरन्त फिर काम करके दिखायें !
छोटे से मासूम बच्चों के साथ इतना अन्याय जो आज पूरा देश कर रहा है क्या सही है?
अपने दिल पर हाथ रख कर विचार करिए आप एक मासूम के साथ कितना अन्याय कर रहे है हम बच्चों का बचपन और उनकी स्वाभाविक विकास प्रक्रिया से वंचित कर रहे हैं
प्रिय अभिभावकों से निवेदन है कि इन मासूम बच्चों पर दया करें ! आराम और खेलने का पर्याप्त समय दें।
संकलन
पुष्पा कोलारे
Right think
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