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डॉ बाबासाहेब आंबेडकर के 64वें परिनिर्वाण दिवस 6 दिसंबर 2019

डॉ बाबासाहेब आंबेडकर के 64वें परिनिर्वाण दिवस 6 दिसंबर 2019

डॉ बाबासाहेब आंबेडकर के 64वें परिनिर्वाण दिवस 6 दिसंबर 2019 *भीम सेना व मूलनिवासी संघ*


तथागत बुद्ध ने सिखाया कि "संघं शरणं गच्छामि" अर्थात संघ की शरण मे जाओ अर्थात संघ व्यक्ति से बहुत से बड़ा है। बाबा साहेब ने कहा कि समाज को संगठित(organise) करो। लेकिन हमारे ज़्यादातर लोग तथागत बुद्ध एवं बाबा साहेब आंबेडकर की वाणी को भूल गए और संगठनात्मक कार्य को प्राथमिकता देने की वजाय व्यक्तिगत/पारिवारिक कार्यो को ज्यादा तवज्जो देने मे लग रहे। संगठन/समाज को शक्तिशाली बनाने की महापुरुषों की नीति को दरकिनार कर स्वयं को या स्वयं के परिवार को शक्तिशाली बनाने की गलत नीति पर कार्य करने लगे। परिणाम सामने है कि न तो समाज शक्तिशाली बन पाया न ही ऐसे लोग अपनी स्वयं की अर्जित शक्ति को बृद्धि या संरक्षित कर पाये और कुछ ही समय मे अर्जित शक्ति का ह्रास हो गया। असंगठित बहुजनो पर, संगठित अल्पजन भारी होते है। ठीक इसी प्रकार चुप-चाप रहने वाले बहुजनों (Silent Majority) पर बोलने/लिखने/बोलने वाले अल्पजन (Vocal Minority) लोकतन्त्र मे जनमत बनाने मे कामयाब हो जाते है।
सत्यशोधक समाज के आंदोलन के अनुयायियों द्वारा आंदोलन का विघटन कर उसको कांग्रेस पार्टी में विलय करने के बाद डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ने घोषित किया कि वह राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले के सामाजिक क्रांति के आंदोलन को आगे ले जाने के लिए उनके एकमात्र अनुयायी है। उनको आंदोलन को गतिमान करने के लिए साहित्य के महत्व का एहसास था। बाबा साहब अपने आप में एक संस्था थे। अपने विशाल ज्ञान और क्षमता का भरपूर सदुपयोग करके, ब्राह्मणवाद से लड़ने के लिए, मूलनिवासी बहुजन समाज के आंदोलन के लिए आवश्यक सभी क्षेत्रो मे जैसे कि सामाजिक, राजनीतिक, शैक्षणिक, धार्मिक आदि मे साहित्य का निर्माण किया। एक आदमी की सीमा अच्छी तरह से समझते हुए उन्होंने आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए संस्थाओं की स्थापना की। । 6 दिसम्बर 1956 को बाबा साहब डा भीम राव अंबेडकर का परिनिर्वाण हुआ और उनके परिनिर्वाण की घटना के बाद मूलनिवासी बहुजन समाज का बढ़ता हुआ कारवां रुक गया और मिसन थम गया। उसकी गति अत्यंत धीमी पड़ गयी थी ।
संघटनात्मक कार्य की सर्वोच्च प्राथमिकता से ही व्यवस्था परिवर्तन संभव है

बाबा साहब अंबेडकर ने कहा था कि "A conscious and determined minority always creates conditions in its favor over an amorphous and ignorant majority अर्थात जागरूक और दृढ़ संकल्पित अल्पजन, लक्ष्यविहीन, असंगठित और गैरजागरूक बहुजन के उपर, अपने पक्ष में परिस्थितियां हमेशा पैदा कर लेता है।"
इसलिए चुप-चाप मत बैठो, बोलो, तर्क करो, लिखो , चट्टी –चौराहो पर बहस करो, सोसल मीडिया पर लिखो, जनमत बनाओ। एक लक्ष्य – व्यवस्था परिवर्तन का लक्ष्य, एक विचारधारा -फुले-अंबेडकरी विचारधारा, एक पहचान - मूलनिवासी बहुजन पहचान एवं एक लोकतान्त्रिक संगठन – बामसेफ के आधार पर देश के सभी ओबीसी/एससी/एसटी एवं इनसे धर्मपरिवर्तित अल्पसंख्यक वर्ग को संगठित करो।
हमारा आंदोलन सेल्फ रिस्पेक्ट का आंदोलन है अतः यह सेल्फ हेल्प से ही लड़ा जायेगा क्योकि अगर हम किसी का सहारा लेते है तो हमे उसका इशारा भी मानना पड़ेगा। इस लिए हमे इस व्यवस्था से दुख भोगी अर्थात एससी/एसटी एवं सह दुखभोगी अर्थात ओबीसी एवं इनसे धर्म परिवर्तित अल्पसंख्यक समाज के लोगो को को ही संगठित करना पड़ेगा। बामसेफ(BAMCEF) का उद्देश्य व्यवस्था परिवर्तन है। बामसेफ, पिछड़े वर्ग (Backward Class अर्थात SC /ST /OBC /एवं इनसे धर्मपरिवर्तित अल्पसंख्यक समाज) के पढे-लिखे कर्मचारियों और शिक्षित प्रोफेसनल जैसे कि वकील, डाक्टर, एंजिनियर, वास्तुविद, इत्यादि का, एक गैर-राजनीतिक(Non-Political), गैर-आंदोलनात्मक (Non-Agitational) एवं गैर-धार्मिक (Non-Religious), सांस्कृतिक संगठन है। राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले एवं डॉ बाबासाहेब आंबेडकर का मिसन ही बामसेफ का मिसन है। मान्यवर ने कहा कि “बामसेफ को समाज के दिमाग (Brain) का काम करना चाहिए और समाज से गाइड होने के बजाय उन्हे समाज को गाइड करना चाहिए”। BAMCEF should work as the brain of society and guide them and not to be guided by them। ऐसा उन्होने क्यो कहा कि, बामसेफ को समाज को गाइड करना चाहिए लेकिन समाज से गाइड नहीं होना चाहिए। क्योकि यदि आप समाज से गाइड होने लगते है तो फिर आप समाज परिवर्तन(Social Change) का कार्य नहीं कर सकते क्योकि समाज की वर्तमान शक्तियाँ यथा स्थिति को बना कर रखना चाहती है जबकि यदि आप को समाज परिवर्तन का कार्य करना है तो आप को समाज को परिवर्तन की दिशा मे मोड़ना होगा। अर्थात समाज मे प्रचलित गलत मूल मान्यताओ, परम्पराओ, अंध विश्वासों, मिथ्या धारणाओ को हटा कर तर्क एवं विज्ञान के आधार फुले-अंबेडकरी विचारधारा के अनुरूप सोच विकसित करनी होगी जिससे लोग स्वतः दिन प्रति दिन घटने वाली घटनाओ की व्याख्या तर्क एवं विज्ञान के आधार फुले-अंबेडकरी विचारधारा के अनुरूप कर सके। इस लिए समाज परिवर्तन का कार्य सामाजिक संगठन ही कर सकता है।
 आज हम मूलनिवासी बहुजन समाज के लोग देश मे भले बहुसंख्यक है लेकिन हमारे विचारधारा के लोग बहुसंख्यक नहीं है?। लोग भले हमारे है लेकिन उनकी विचारधारा हमारी नहीं है?। यह हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती है। इस लिए हमे कोई गोली बंदूक नहीं चलानी है केवल हमारे लोगो का विचार परिवर्तन का कार्य करना है। उनके दिमाग से ब्राह्मण वाद की विचारधारा निकालकर हमे फुले-अंबेडकरी विचारधारा डालना है और यह काम सामाजिक संगठन ही कर सकता है। इस विषय पर बाबा साहेब आम्बेडकर ने कहा था कि “जिस तरह व्यक्ति एक दिन मर जाता है उसी तरह विचार भी प्रचार एवं प्रसार के अभाव में मर जाता है। जिस तरह पौधे को जिन्दा रखने के लिए उसको हमेश पानी देना पड़ता है, उसी तरह विचार को अगर जिन्दा रखना है तो उसका हमेशा प्रचार एवं प्रसार करना होगा” मान्यवर कांशी राम ने कहा कि “न बिकने वाला समाज ही न बिकने वाला नेता पैदा करता है। अगर समाज बिकने वाला है, तो नेता भी बिकने वाला ही पैदा होगा” अब सवाल यह है की विचार का प्रचार एवं प्रसार कौन करेगा एवं न बिकने वाला समाज तैयार कौन करेगा? निश्चित रूप से न बिकने वाला समाज बनाना एक सामाजिक काम है। आप काम करने के लिए तैयार है तो हम आप का स्वागत करेंगे। बामसेफ का मानना है कि विचार परिवर्तन ही व्यवस्था परिवर्तन का मूल है। विचार परिवर्तन से आचरण मे परिवर्तन होता है। आचरण मे परिवर्तन से सामाजिक परिवर्तन होता है। सामाजिक परिवर्तन से राजनीतिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक परिवर्तन होता है। राजनीतिक परिवर्तन से आर्थिक परिवर्तन होता है और उपरोक्त सारे परिवर्तनो से व्यवस्था परिवर्तन होता है। विचार में परिवर्तन हुए बिना आचरण में परिवर्तन संभव नहीं है और यदि विचार में परिवर्तन नहीं होता है तो हमारा आदमी भी यदि पोजीसन ऑफ़ पावर पर पहुचता है तो वह भी ब्राह्मणवादी एजेंडा को ही आगे बढ़ाने में लगा रहता है। अगर विचार में परिवर्तन हुए बिना किसी तरह से सत्ता परिवर्तन हो भी जाता है तब भी उस सत्ता का प्रयोग आप व्यवस्था परिवर्तन करने के लिए नहीं कर पाएंगे क्योकि आप के अपने लोग आप के विचार धारा के नहीं होंगे और आप के अपने लोग ही व्यवस्था परिवर्तन का विरोध कर देंगे। इस लिए हमारे अपने समाज के लोगो में अपने महापुरुषों- तथागत बुद्ध, सम्राट अशोक, राष्ट्रपिता फुले, बाबा साहब आंबेडकर, नारायणा गुरु, संत कबीर ,संत रैदास, गुरु घासीदास, पेरियार, साहू जी महाराज॰ राम स्वरूप वर्मा, ललई सिंह यादव इत्यादि महापुरुषों की विचारधारा को स्थापित करना होगा और बामसेफ यही कार्य अपने स्थापना काल से कर रहा है और देश मे बहुत से लोगो को तैयार किया है जो आज समाज जीवन मे घटने वाली दिन-प्रतिदिन की घटनाओ की व्याख्या फुले-अंबेडकरी विचारधारा से कर रहें है इस लिए ही भारत मे कुछ परिवर्तन हुआ है। लोग पूछते थे कि बामसेफ ने क्या किया तो खापर्डे साहेब का उत्तर था कि “ऐसा मानव संसाधन तैयार करना जो की फुले-आंबेडकर की विचार धारा के अनुरूप सोच सके, अपने आप मे रिवोलुसन है और बामसेफ यही कार्य अपने स्थापना काल से सफलता पूर्वक कर रहा है और देश मे बहुत से लोगो को तैयार किया है जो आज समाज जीवन मे घटने वाली दिन-प्रतिदिन की घटनाओ की व्याख्या फुले-अंबेडकरी विचारधारा से कर रहें है।“ लेकिन जीतने लोगो का हमने तैयार किया उसी परिमाण मे परिवर्तन भी हुआ। ऐसे लोगो की संख्या अभी बहुत प्रभाव शाली नहीं है इस लिए परिवर्तन भी प्रभाव शाली नहीं हुआ है। अगर हम 20 % लोगो का विचार परिवर्तन मे सफल हुए तो हम व्यवस्था परिवर्तन मे कामयाब हो जाएगे। बामसेफ संगठन राष्ट्रीय अधिवेशन, प्रदेश अधिवेशन, कैडर कैम्प, सेमिनार, वर्कशाप, मूलनिवासी मेला, प्रबोधन सत्र लगा कर अपने समाज के मानव संसाधन को अपने महापुरुषों की विचार धारा में प्रशिक्षित करने एवं प्रशिक्षित मानव संसाधन को तैयार करने में लगा हुआ है। व्यक्ति का विचार परिवर्तन आसान नहीं अपितु यह अत्यंत कठिन कार्य है। वह भी तब और कठिन है जबकि प्रतिगामी शक्तिया इसके विरोध करने अर्थात इसको काउंटर करने में अपने भारी बित्तीय एवं मानव संसाधन लगा रही है।
आज हम इसकी बामसेफ के संकल्पना वर्ष (1978) के बाद 40वें वर्ष मे पहुचे है और तब से यह कारवां तमाम कठिनाइयो और चुनौतियों का डट कर मुक़ाबला करते हुये तमाम सफ़लताए अर्जित करते हुये और अपने कई गलतियो से शबक लेते हुये आगे बढ़ा है। आज हम व्यक्ति वाद के दौर से बाहर निकल कर प्रजातांत्रिक संगठन और संस्थागत नेतृत्व मे विश्वास करते हुये आगे बढ़ रहे है। लोग पूछते थे कि बामसेफ ने क्या किया तो खापर्डे साहेब का उत्तर था कि “ऐसा मानव संसाधन तैयार करना जो की फुले-आंबेडकर की विचार धारा के अनुरूप सोच सके, अपने आप मे रिवोलुसन है और बामसेफ यही कार्य अपने स्थापना काल से सफलता पूर्वक कर रहा है और देश मे बहुत से लोगो को तैयार किया है जो आज समाज जीवन मे घटने वाली दिन-प्रतिदिन की घटनाओ की व्याख्या फुले-अंबेडकरी विचारधारा से कर रहें है।“
बामसेफ संगठन ने सामाजिक क्रांति के आंदोलन को आगे ले जाने की ज़िम्मेदारी अपने कंधो पर लिया है और आंदोलन के लिए अति आवश्यक मानव संसाधन और साहित्य निर्माण करने के लिए एक संस्था की जरूरत के महत्व को समझा। इसलिए बामसेफ ने अपने संस्थापक यशकाई डी के खापर्डे के नाम से एक ट्रस्ट का गठन किया और फुले-अंबेडकरी आंदोलन के लिए आवश्यक मानव संसाधन एवं साहित्य उपलब्ध कराने के लिए राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले सामाजिक क्रांति संस्थान की स्थापना रिंगनाबाड़ी, नागपुर मे की जिसका प्रशासनिक भवन पहले से तैयार है और हास्टल ब्लॉक भी बन गया है जिसका उदघाटन 25 दिसंबर 2017 को सम्पन्न हो चुका है। इसके समाज के लोगो को प्रशिक्षण देने मे सुबिधा है और हम समाज मे फुले-अंबेडकरी विचारधारा मे civilized & trained लोगो को तैयार तैयार कर पायेंगे।क्योकि uncivilized & untrained राजनीतिक लोग व्यवस्था परिवर्तन नहीं कर सकते है? इसलिए लोकतान्त्रिक संगठन बामसेफ फुले-अंबेडकरी विचारधारा मे Civilised & trained लोगो को तैयार कर रहा है।
जिन लोगो को बाबा साहब के मिसन से लगाव है और वे बाबा साहब के कारवा को तेज गति से आगे ले जाना चाहते है हम उनका स्वागत करते है। बाबा साहब को श्रद्धांजलि उनके कारवा को बढ़ाने मे है। बाबा साहब ने कहा था कि “मेरी जय - जय कार करने की बजाय, मेरे द्वारा बताए गए मिसन/उद्देश्य-पूर्ति को मंजिल तक पहुचाने में, अपनी जान की बाजी लगा दो”।
“Don’t cheer my name. Instead wage your life for the mission undertaken by me”
Dr B R Ambedkar..
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What is Mission of Dr BR Ambedkar? बाबा साहब का मिसन क्या है?

1-सामाजिक क्षेत्र: Social Transformation (सामाजिक परिवर्तन) अर्थात समाज मे जागरूकता लाकर, गैरबराबरी पर आधारित वर्ण/जाति वाली सामाजिक व्यवस्था को बदल कर जातिविहीन समतामूलक समाज का निर्माण करना।
2-राजनैतिक क्षेत्र : मूलनिवासी बहुजन समाज को हुक्मरान बनाना
3- शैक्षणिक क्षेत्र: सभी को विश्वस्तरीय एक समान एवं वैज्ञानिक पाठयक्रम पर आधारित शिक्षा प्रदान करना
4- आर्थिक क्षेत्र : आर्थिक मुक्ति (Economic Emancipation) अर्थात आर्थिक गैरबराबरी को समाप्त करना
5- धार्मिक क्षेत्र : प्रबुद्ध भारत अर्थात भारत को पुनः बौद्ध भारत बनाना

स्रोत: बामसेफ

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