गुरु पूर्णिमा पर गुरुवर को समर्पित रचना (गुरु महिमा )
प्रथम गुरु मात-पिता को, महिमा बड़ी महान है,
दीन्हों काया सरूप शरीरा, जगत में पहचान है l
बिन विद्या नर पशु सामना, पावक बिन प्राण है,
गुरु महिमा पड़ी जीव पर, धन्य हुई यह जान है l
अक्षर ज्ञान की तपिश से, काया कर दी निर्मल,
साक्षर कर ससक्त बना, कर दिए समर्थ सबल l
गुरु ज्ञान बिन जीवन थोथा, साहिल बिन है नौका,
विद्यादान कर मनुष्य बनाया, जीनेका मिला मौका l
गुरु प्रताप से ईश को चीन्हों, मिला प्रभु नाम,
कृपा गुरु की मिली जब से, मिला जीवन दाम l
ज्ञान ध्यान संस्कार और जगत का पुरुषार्थ,
ये गुण जीवन में है दीन्हों चला दिया परमार्थ l
मात-पिता से ऊपजी काया, गुरु से मिला ज्ञान,
कुटुंब कबीला से प्यार मिला, ज्ञान से सम्मान l
गुरुवर मिले नर रूप में, ईश मिले गुरुवर रूप,
गुरु प्रताप से आनंद मिले, जीवन स्वर्ग स्वरूप l
---------------------------------------------------
श्याम कुमार कोलारे
0 Response to " गुरु पूर्णिमा पर गुरुवर को समर्पित रचना (गुरु महिमा )"
Post a Comment