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 गुरु पूर्णिमा पर गुरुवर को समर्पित रचना (गुरु महिमा )

गुरु पूर्णिमा पर गुरुवर को समर्पित रचना (गुरु महिमा )

                                                  

प्रथम गुरु मात-पिता को, महिमा बड़ी महान है,

दीन्हों काया सरूप शरीरा, जगत में पहचान है l

बिन विद्या नर पशु सामना, पावक बिन प्राण है,

गुरु महिमा पड़ी जीव पर, धन्य हुई यह जान है l

 

अक्षर ज्ञान की तपिश से, काया कर दी निर्मल,

साक्षर कर ससक्त बना, कर दिए समर्थ सबल l

गुरु ज्ञान बिन जीवन थोथा, साहिल बिन है नौका,

विद्यादान कर मनुष्य बनाया, जीनेका मिला मौका l

 

गुरु प्रताप से ईश को चीन्हों, मिला प्रभु नाम,

कृपा गुरु की मिली जब से, मिला जीवन दाम l

ज्ञान ध्यान संस्कार और जगत का पुरुषार्थ,    

ये गुण जीवन में है दीन्हों चला दिया परमार्थ l

 

मात-पिता से ऊपजी काया, गुरु से मिला ज्ञान,

कुटुंब कबीला से प्यार मिला, ज्ञान से सम्मान l

गुरुवर मिले नर रूप में, ईश मिले गुरुवर रूप,

गुरु प्रताप से आनंद मिले, जीवन स्वर्ग स्वरूप l

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श्याम कुमार कोलारे 

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