स्कूल प्रारंभ की तैयारी, उचित प्रबंधन के साथ हो पढ़ाई की शुरुआत
सम्पूर्ण देश में लॉकडाउन के करीब 16 महीने से अधिक का समय गुजर गया है l इस समय आर्थिक मंदी के साथ-साथ बहुत ऐसे आयामों में मंदी आई है जिसे पूरा करने में काफी समय लगेगा l बात करें शिक्षा की तो, शिक्षा जगत इस मंदी से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है l शिक्षा एक ऐसा मुद्दा है जिससे सभी का भविष्य जुड़ा होता है l बच्चों की प्रारंभिक या उच्च शिक्षा सभी इस दौर से प्रभावित हुए है l सबसे बड़ी समस्या ये उभरकर आई है जिसमें बहुत से बच्चों ने पिछले और इस वर्ष स्कूल में अपना दाखिला ही नहीं करा पाए है l और यदि किसी प्रकार दाखिला हो भी गया तो बहुत से नौनिहालों ने स्कूल का मुह तक देख नहीं पाए है l जिन नौनिहालों को अभी स्कूल में होना चाहिए था लॉकडाउन ने सभी को अपने घर पर बिठा रखा है l सरकारी स्कूलों में पिछले सत्र बच्चों की पढ़ाई कुछ महीनों के लिए मोहल्ला कक्षा या व्हाट्सएप्प के माध्यम से पठन सामग्री भेजकर पढ़ाने की कोशिश की गई थी l मोहल्ला क्लास में बच्चे अपनी सुरक्षा रखते हुए पढ़ाई का रहे थे परन्तु यह ऊँट के मुह में जीरा जैसा था l इससे हम मुकर नहीं सकते कि जहाँ भी मोहल्ला कक्षा लगी है बच्चों का उत्साह एवं शिक्षक का जुडाव देखने के लिए मिला है परन्तु सोचने वाली बात है कि कुछ महीनों में इस प्रकार दिन में एक-दो घंटों की कक्षा से बच्चा कितना सीखा होगा? इस लम्बे अन्तराल में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने वाले बच्चों की स्थिति में सीखने में गिरावट स्पष्ट नजर आने लगी है l बच्चों में पढ़ने को लेकर अरुचि इस समय सबसे बड़ी समस्या के रूप में उभरकर सामने आने लगी है l इस बात की चिंता सभी को है कि इस अन्तराल को कैसे पूरा किया जाए ? इस समस्या को सुलझाने के लिए शिक्षक साथिओं के साथ अभिभावकों को भी बहुत ध्यान देने की आवश्यता है l
प्रारंभिक कक्षाओं में बच्चों की दक्षता के स्तरवार पढ़ाने की हो तैयारी - अभी सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि बच्चों ने स्कूल से दूर रहकर क्या सीखा और क्या भूला इसे जानना l इसके बाद ही समझ आयेगा की बच्चों को पढ़ाई में किस प्रकार का उपचार करने की आवश्यकता है lबच्चों को उनकी उच्चतम दक्षता जानने के बाद ही उनकी पढाई व्यवस्थापन के बारे में सोचना होगा l क्योंकि जब तक बच्चों की उच्चतम दक्षता एवं कमजोरी शिक्षक को पता नहीं होगी वह बच्चों को सही दिशा में सुधार के लिए योजना नहीं बना सकता है l उदाहरण के लिए प्राथमिक कक्षा की कक्षा-3 में अलग-अलग हिन्दी पठन स्तर जानने वाले बच्चे पढ़ते होंगे l यदि बच्चों को हिन्दी की कोई सरल कहानी पढ़ाया जाए तो कुछ बच्चे इसे पूर्ण धाराप्रवाह के साथ पढ़ लेंगे, कुछ बच्चे इसे मामूली सी गलती करते हुए पढ़ते होंगे, कुछ बच्चे इसे अटक-अटक कर अक्षर जोड़ते हुए शब्दों की तरह पढ़ते होंगे l यानि एक कक्षा के बच्चों के पठन दक्षताओं में भिन्नताएँ रहती है l और शिक्षक यदि इन सबको एक सी दक्षताएँ मानकर पढ़ाते है तो जो बच्चे अच्छे से पठन कर लेते है वह आगे बढ़ जायेंगे l जो बच्चे पढ़ने में संघर्ष कर रहे है उसे समझने में कठिनाई होगी और वह कक्षा की पढ़ाई की मूल धारा से पिछड़ते रहेगा l एक समय ऐसा आयेगा कि बच्चे का मन पढ़ाई में नहीं लगेगा और वह पढ़ाई से दूर होते चले जाता है l इस समस्या का समाघान के लिए सत्र शुरू होते ही बच्चो की विषयवार उच्चतम दक्षता परखने की आवश्यता है l एक बार बच्चों का कौशल एवं कमजोरी पता चलने के बाद उसको किस दिशा में सहयोग की जरुरत है उस दिशा में मदद करके उसे सामान्य धारा में लाने का प्रयास किया जाना चाहिए l
बच्चों का हो बुनियादी सीख की जाँच - प्राथमिक स्तर में बच्चों की दक्षता जांच के लिए असर (एनुअल स्टेटस ऑफ़ एजुकेशन रिपोर्ट) के मूल्यांकन प्रपत्र का उपयोग किया जा सकता है l यह प्रपत्र असर सेंटर की अधिकारिक बेबसाईट से प्राप्त किया जा सकता है l असर टूल के माध्यम से बुनियादी भाषा एवं गणित की सरल जांच के माध्यम से बच्चों की भाषा एवं गणित की दक्षता में पता चलने के बाद उसे उस दक्षता से आगे के लिए योजना तैयार की जाना चाहिए l मान लीजिये किसी कक्षा में कहानी पढ़ने वाले बच्चे, अनुच्छेद पढ़ने वाले बच्चे और शब्द पढने वाले बच्चे है और यदि सभी को पाठ्यक्रम के अनुसार एक सी पढ़ाई कराई जाए तो सभी बच्चे एकसाथ नहीं सीख पाएंगे l इसलिए सभी बच्चों को एक धारा में लाना होगा l सर्वप्रथम अक्षर एवं अनुच्छेद पढ़ने वाले बच्चों को कहानी पढ़ने की दक्षता के लिए कार्य करने होंगे इसके बाद ही वह मुख्य पढ़ाई से जुड़ पायेगा l
सुधारात्मक उपचार - देश में शिक्षा सुधार पर कार्य करने वाली स्वैक्षिक संस्था प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन ने अपनी तक़रीबन 30-45 दिनों की चरणबद्ध पठन-पाठन की कार्यप्रणाली के तहत बच्चों को कम से कम एक दक्षता ऊपर ले जाने के लिए कार्य किया है l कमाल (CAMaL-Combined Activity For Maximized Learning) पद्धति तेजी से बच्चों में पढ़ने-लिखने व गणित के बुनियादी कौशल विकसित करने में सहायक होती है l पढ़कर समझना और बुनयादी गणित के कौशल आधारभूत दक्षताएँ हैं l हमारे स्कूल में कक्षा 3-5 के बच्चे, भाषा के साथ-साथ अन्य कई विषयों में अध्ययन करते है l ऐसे में उनका पढ़कर समझना बहुत आवश्यक हो जाता है l बच्चों को नामांकित कक्षा की बजाय, पढ़ने के स्तरानुसार समूहों में विभाजित करके, उनके स्तर अनुसार गतिविधियाँ करके पढ़ना होगा l इस लिए अभी स्कूल प्रारंभ होने से पहले सभी बच्चों की एक प्रारंभिक दक्षता जाँच आवश्यक है जिससे यह जाना जा सके कि बच्चों को किस प्रकार की सहयता की आवश्यकता है l
ऑनलाइन शिक्षा - वर्तमान समय में बच्चों की पढ़ाई के लिए ऑनलाइन शिक्षा पर बड़ा जोर दिया जा रहा है, बच्चों की पढ़ाई में पिछड़ाव की खाई को पाटने के लिए सरकार से लेकर निजी शिक्षा तंत्र में भी अपना सम्पूर्ण जोर लगा दिया है l परन्तु वास्तविकता का धरातल के बारे में वही सही बता सकता है जो इस प्रणाली के हिस्से है l बच्चों को घंटो मोबाइल या कंप्यूटर के सामने बैठकर ध्यान से पढ़ाई करना एक चुनौती से कम नहीं है l उस शिक्षक की व्यथा के बारे में भी सोचकर देखिये जो रोज बच्चों को ऑनलाइन एप्प के माध्यम से पढ़ाने की कोशिश करता है एक घंटे के बाद उसकी मनःस्थिति देखने लायक होती है l शिक्षा का यह एक विकल्प है सम्पूर्ण शिक्षा ऑनलाइन चलना बड़ी कठिन राह है l इससे बच्चे एवं शिक्षक दोनों जूझ रहे है l वैसे भी हाल में ही केन्द्रीय विद्यालय संगठन एवं नवोदय विद्यालय समिति के सर्वे के अनुसार अभी भी 70 प्रतिशत बच्चों के पास ऑनलाइन कक्षा के लिए मोबाइल नहीं है l अभी महज एक तिहाई बच्चे ही ऑनलाइन कक्षा से जुड़ पाए है l फिर इस प्रकार ऑनलाइन शिक्षा की परिकल्पना कैसे की जा सकती है यह एक सोचनीय विषय है l
शिक्षकों एवं अभिभावकों को मिलकर प्रयास करना होगा - सरकार बड़ी कक्षाओं को खोलने की तैयारी पर है l कोरोना सुरक्षा के प्रोटोकाल का पालन करते हुए शायद बड़ी कक्षाएं खुल भी जाए पर क्या ये कक्षा खोलने पर बच्चों को इनकी मुख्य धारा की पढ़ाई से जोड़कर पढ़ाना अभी भी चिंता का विषय है l शुरूआती कक्षाओं के बच्चों के लिए स्कूल खोलना अभी खतरे से खाली नहीं है क्योकि छोटे बच्चों का कोरोना सुरक्षा का पालन करना अभी उनकी समझ से परे हो सकता है l फिर भी जब भी कोरोना का प्रभाव कम हो जाएगा और स्कूल खोलने लायक स्थिति बन जाएगी उस समय बच्चों की पढ़ाई के लिए स्कूल को अपनी तैयारी करना बहुत अच्छा निर्णय साबित हो सकता है l बच्चों के साथ-साथ सभी अभिभावकों को भी अपने बच्चों की सही शिक्षा के लिए उत्तरदायी बनना होगा तभी बच्चों की सीखने के पिछड़ाव को दूर दिया जा सकता है l कोरोना ने बच्चों की शिक्षा में जो खाई बनाई है उसे पाटने का काम मिलकर पूरा करना होगा l बच्चों के भविष्य के खातिर हम सब को बच्चों की शिक्षा को आगे बढ़ाने का बीड़ा उठाना होगा l
(यह लेखक के व्यक्तिगत विचार है)
लेखक
श्याम कुमार कोलारे
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