कल्पनाये बचपन की
Friday 23 July 2021
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जब मैं छोटी बच्ची थी
सोचा ऐसा करती थी
मम्मी जैसा यदि होती,
अपनी मन की करती l
न कोई पढ़ाई लिखाई,
न कोई स्कूल जाना
खाना में भी अपनी पसंद,
खुद खाती सबको खिलाती l
नई-नई साडी पहनकर,
सैर सपाटे घूमने जाती
यही सोचकर अक्सर मैं,
ये सपनो में मैं खो जाती l
अब जब मैं बड़ी हो गई,
आज खुद मम्मी हो गई
काम जिम्मेदारी से हरदम,
दिनभर फुर्सद मिलती नहीं l
काश मैं फिर से बच्ची होती,
नाचती गाती करती ठितोली
मन करता है मैं फिर से,
अपने बचपन में चली जाती l
लेखक/ कवी
पुष्पा कोलारे
भोपाल, मध्यप्रदेश
मोबाइल: 9424807212
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