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पुलिस आरक्षक ने बनाया कपड़ा बैंक, जरूरतमंदों को मिलते हैं कपड़े

पुलिस आरक्षक ने बनाया कपड़ा बैंक, जरूरतमंदों को मिलते हैं कपड़े



छिंदवाड़ा। छिंदवाड़ा में पदस्थ एक पुलिस आरक्षक पिछले काफी समय से गाँव-गाँव जाकर जरूरतमंदों को कपड़े बाँट रहा है। इसके लिए आरक्षक ने कपड़ा बैंक भी बनाया है। जहाँ कोई भी कपड़े लाकर दे सकता है। इसके बाद इन कपड़ो को आरक्षक समय निकालकर जरूरतमंदो में बाँट देता है। ख़ास बात यह है कि जरूरतमंदो को कपड़े साफ और प्रेस करके दिए जाते हैं। इस काम में कई समाजसेवी भी आरक्षक की मदद करते हैं।

छिंदवाड़ा पुलिस में पदस्थ आरक्षक महेश भावरकर सच्ची समाजसेवा का उदहारण पेश कर रहे हैं। छोटे से आदिवासी गांव में जन्मे पुलिस आरक्षक महेश भमरकर जब भी अपने गाँव जाते तो उन्हें अधिकतर बच्चे बिना कपड़ों के या फटे कपड़ों में नजर आते थे। ऐसे में उन्होंने अपने घर के पुराने कपड़े और अन्य लोगों से कपड़े इकट्ठा करके बाँटना शुरु दिया।

इस नेक काम को करने में समाजसेवी भी उनकी मदद करने के लिए आगे आए। समाजसेवी जुड़ते गए तो आरक्षक ने सेवा सहयोग संगठन समिति बनाई। साथियों की मदद से उन्हें जेल कांप्लेक्स में एक दुकान बिना किराए के मिल गई। यहाँ उन्होंने कपड़ा बैंक शुरू की। कपड़ा बैंक में कोई भी कपड़े लाकर दे सकता है और फिर कपड़ा बैंक गाँवो में जाकर जरुरतमंदो को कपड़ा बाँटती है। जरुरतमंदो को कपड़ा बाँटने से पहले कपड़े साफ और प्रेस किए जाते हैं। नौकरी के बाद जो भी समय बचता है महेश भमरकर समाजसेवा में लगाते हैं।

आज महेश भावरकर के सेवा सहयोग संगठन से कई युवा और व्यवसायी जुड़े हैं जो कपड़ा बैंक के माध्यम से जरूरतमंदों को गाँव गाँव जाकर कपड़े और सामान बाँटते हैं। इनका कहना है कि जरूरतमंदो के चेहरे पर मुस्कान जाती है तो सच्ची समाजसेवा हो जाती है। इस बैंक में कोई भी कपड़ा लाकर दे सकता है और जरुरतमंद ले जा सकता है।

इस भागमभाग भरे समय में जहाँ लोगों को अपने लिए समय निकालना मुश्किल होता है। वैसे में पुलिस में नौकरी करते हुए समाजसेवा करना और जिनके तन पर कपड़ें ना हो उनके चेहरे पर कपड़े मिलने की खुशी देखकर कहा जा सकता है सच्ची समाजसेवा यही है।

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