हमारा राष्ट्रिय ध्वज तिरंगा का इतिहास, 112 साल में 6 बार बदला हमारा तिरंगा
15अगस्त को समस्त भारतवासी आजादी की वर्षगांठ बड़े ही धूमधाम धाम से मानते आ रहे है इस दिन देश के सभी लोगो के मन में एक देश प्रेम का जस्वा एवं उमंग देखते ही बनती है आखिर हो भी क्यों न! यह दिन हमें हमारे क्रांतिकारी एवं देशभक्तों के खून एवं वलिदानों से मिली है, वर्तमान में इस खून और वलिदान की धरोहर हमारा राष्ट्रिय ध्वज यानि हमारा तिरंगा झन्डा के रूप में मिला है जो स्वतंत्र भारत की मान, सम्मान एवं पहचान है l देश के हर नागरिक को अपने देश के झण्डे पर गर्व है हर कोई इसके सम्मान में सलामी देकर अपने को धन्य समझते है l इस दिन देशभर में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे और पूरा देश इस दिन हाथों में तिरंगा लिए इस वर्ष 75वीं वर्षगांठ का जश्न मनाएगा। लेकिन हमें इस तिरंगे के इतिहास से भी रूबरू होना आवश्यक है। केसरिया, सफ़ेद, हरे रंग और अशोक चक्र से निर्मित हमारा यह तिरंगा कब-कब हमें नए रूप में मिला आज हम इसी विषय पर आपसे चर्चा करेंगे। बता दे कि आजादी मिलने के पूर्व से लेकर अब तक तिरंगा कुल 6 बार बदला जा चुका है यहां हम जानेंगे कब-कब तिरंगे में क्या-क्या बदलाव हुए। 112 साल में 6 बार बदला हमारा तिरंगा l 30 देशों के राष्ट्रीय ध्वज पर हुआ गहन अध्ययन के बाद हमारा ध्वज का स्वरुप तैयार हुआ, इसका एक लम्बा सफ़र है l चलो इसे जानते है -
जिस व्यक्ति ने भारत की शान तिरंगे का निर्माण किया उसका नाम ‘पिंगली वेंकैया’ है और उन्होंने ध्वज का निर्माण 1921 में किया था। लेकिन इसे बनाना इतना आसान नहीं था। इसे बनाने से पहले उन्होंने 1916 से 1921 तक करीब 30 देशों के राष्ट्रीय ध्वज का अध्ययन किया, उसके बाद जाकर अपने तिरंगे को बनाया। करीब 45 साल की उम्र में पिंगाली ने राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण किया और आखिरकार 22 जुलाई 1947 संविधान सभा में राष्ट्रीय ध्वज को सर्वसम्मति से अपना लिया और ध्वज में से चरखे को हटाकर सम्राट अशोक का धर्मचक्र इस्तेमाल किया गया।
सबसे पहले भारतीय ध्वज साल 1906में अस्तित्व में आया था। जिसमे कुछ फूल, एक चाँद और एक चक्र मौजूद था। इसमें हरा, पीला और लाल कलर भी मौजूद था। भारत का पहला गैर आधिकारिक ध्वज अधिक समय तक नहीं रहा और भारत को अगले ही साल नया राष्ट्र ध्वज मिला। इस राष्ट्रध्वज में भी चाँद सितारे आदि मौजूद था। साथ ही इसमें तीन रंग केसरिया, हरा और पीला शामिल था। इस ध्वज को भिकाजी कामा द्वारा पेरिस में फहराया गया था। बाद में इसे एक सम्मलेन के दौरान बर्लिन में भी फहराया गया था। भरत का दूसरा राष्ट्र्रीय 10 साल तक मान्य रहा। इसके बाद साल 1917में भारत को एक और नया ध्वज मिला। जो कि पूर्व के दोनों राष्ट्रीय ध्वज से काफी अलग था। इसे होम रूल आंदोलन के दौरान एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक ने फहराया था। इसमें कुछ सितारे, एक चंद्र और हरे-लाल रंग का समावेश था। तीसरा राष्ट्र ध्वज 4 साल के लिए मान्य रहा। जल्द ही भारत को साल 1921 में नया राष्ट्र ध्वज मिल गया। बेजवाड़ा (अब विजयवाड़ा) में किया गया यहां आंध्र प्रदेश के एक युवक ने एक झंडा बनाया और गांधी जी को दिया। यह दो प्रमुख रंगों हरे और लाल से निर्मित था। जो कि 2 धर्मों हिन्दू और मुस्लिम का प्रतिनिधिव करते हैं। गांधी जे ने बाद में इसमें चरखा जोड़ा।1921में निर्मित भारत का चौथा राष्ट्र ध्वज 10 सालों तक अस्तित्व में रहा। 1931में हिंदुस्तान को एक बार फिर नया राष्ट्रध्वज मिला। चौथे राष्ट्रध्वज की तरह ही पांचवे राष्ट्रध्वज में भी चरखा का महत्वपूर्ण स्थान रहा। हालांकि रंगों में इस बार हेर-फेर हुआ। चरखा के साथ ही केसरिया, सफ़ेद और हरे रंग का संगम रहा। इंडियन नेशनल कांग्रेस (आईएनसी) ने औपचारिक रूप से इस ध्वज को अपनाया था।
कांग्रेस पार्टी का पांचवा राष्ट्र ध्वज ही भारत का अंतिम राष्ट्र ध्वज रहा। इसमें केवल एक बदलाव किया गया था। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का चरखा इसमें से हटाया गया और उसके स्थान पर इसमें सम्राट अशोक के चक्र को स्थान दिया गया। इस तिरंगे का जन्म 22 जुलाई 1947 को हुआ था। बाद में भारत की आजादी में इस तिरंगे ने अपना सबसे महत्वपूर्ण रोल अदा किया। भारत का यह ध्वज आज विश्व भर में इसी रूप में फहरा रहा है।
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