कार्य प्रबंधन में नेतृत्व की अहम् भूमिका
“नेतृत्व कौशल से कार्यों की गुणवत्ता को मिलती नई चमक”
नेतृत्व विकास एक खास कला है जिससे व्यक्ति अपने गुणों एवं क्षमता से अपने काम कुशलता से सभी को प्रभावित करता है l एक अच्छा व्यक्तित्व का धनि व्यक्ति अपने नेतृत्व क्षमता के प्रभाव से अपने आप को एक उच्च मुकाम तक पहुंचता है एवं अपने सहभागियों में सम्मान पाता है l यह एक कौशल है, जो सामान्य व्यक्तित्व के अन्दर नहीं होता, जो अन्य लोगो से इसे भिन्न बनाता है l श्रेष्ठतम लीडर वही बन पाता है, जो लोगो के दिलों पर राज करता है l ऐसे व्यक्ति के साथ काम करने वाले लोग अपना सब कुछ उस पर नौछावर करने के लिए तत्पर होते है l नेतृत्व कुशलता एक ऐसी कला है जिसके माध्यम से बहुत बड़े-बड़े असंभव कार्य को भी सरलता के साथ किया जा सकता है l बिना मार्गदर्शन के आगे बढ़ने में भटकाव ही हाथ लगता है और किसी भी तरह की सफलता के बारे में सोचना अँधेरे में तीर चलाने जैसा होगा l
“बिना नेतृत्व के इकठ्ठा हुई भीड़ से कुछ ख़ास कार्य नहीं कराया जा सकता है, वहीं सही नेतृत्व से सेना की एक छोटी से टुकड़ी के द्वारा भी युद्ध जीता जा सकता है l”
आइये जानते है उन गुणों को, जो एक प्रभावी नेतृत्वकर्ता के लिए आवश्यक है –
अनुशासन प्रिय होना – एक कुशल नेतृत्ववाली व्यक्ति को स्वयं अनुशासित जीवन जीना चाहिए l और समय पर हर काम वरीयता के अनुसार करना चाहिए l यदि आप किसी कम्पनी संगठन या घर के मुखिया ही क्यों न हो इस प्रकार का गुण होने पर ही आप दूसरों को सही समय पर काम करने या होने का निर्देश दे सकते है l यदि आप स्वयं अनुशासित है तभी लोग आपकी बात मानेंगे और आपका अनुशरण करेंगे l
निर्णय लेने का कौशल – जिस व्यक्ति में सभी परिस्थितियों में एक उचित निर्णय लेने की क्षमता हो वह अपने इस गुण से एक अच्छा नेतृत्वकर्ता की पहचान पता है l जो व्यक्ति अपने निर्णयों को बार-बार बदलता है, उसकी निष्पक्षता और बुद्धिमत्ता संदिग्ध रहती है l इसीलिए नेतृत्वकर्ता को ठीक से सोच विचार कर दूरदर्शिता के साथ सही निर्णय लेना आना चाहिए l
उत्तरदायी होना– नेतृत्व करने वाले व्यक्ति को अपने कार्यों के प्रति जिम्मेदार या उत्तरदायी होने के साथ-साथ अपने अंतर्गत काम करने वालो की गलतियाँ व असफलताओं के दायित्व को स्वीकार करने का साहस भी होना चाहिए l ऐसा किये बिना उसके विश्वास को नहीं जीता जा सकता l किसी भी काम में सफलता एवं असफलता उस काम को किस प्रकार के नेतृत्व में किया जा रहा है उसका भी विशेष महत्व रखता है l किसी भी काम को अपनी पूर्ण जिम्मेदारी तथा उत्तरदायी होना भी अपने आप के एक कला है जिससे कार्य को सुधार कर उसे और बेहतर करने में मदद मिलती है l
नियंत्रण पूर्ण व्यवहार – एक कुशल नेतृत्वकर्ता के रूप में आपने आप को साबित करने के लिए स्वनियंत्रण का गुण भी होना आवश्यक है l नेतृत्वकर्ता को अपनी वाणी एवं व्यवहार, अपने नियंत्रण में रखना आना चाहिए, क्योंकि नेतृत्वकर्ता के मर्यादाहीन से उसके नियंत्रण में काम करने वाले लोग भी मनमानी करने लगते है l एक नियंत्रणपूर्ण व्यवहार से सभी में अनुशासन एवं व्यवहारिक होने का माहौल अपने लीडर से ही प्राप्त होता है l इसलिए अपने शब्दों, वाणी, व्यवहार, आचरण सोच आदि का विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यता है l
कामों में सहकर्मीयों की सलाह – कोई भी नया कार्य को शुरू करने से पहले अपने सहकर्मियो से सलाह एवं विचार अवश्य लेना चाहिए l वैसे एक लीडर के रूप में यह काम लीडर के ऊपर निर्भर करता है कि वह स्वयं निर्णय ले सकता है, लेकिन काम अकेले लीडर नहीं करता उसके लिए समस्त सहकर्मियों की मदद लेना होती है तब यह जरुरी हो जाता है कि हर एक योजना में अपने साथियों से परामर्श लिया जा सकता है तब कार्य के लिए अनेक सुझाव मिल सकते है l इस योजना में ऐसे साथिओं को अवश्य रखे जो कार्य के प्रति सजग, कर्तव्यनिष्ठ एवं ईमानदारीपूर्वक सकारात्मक नज़रिये से कार्य करने के लिए तत्पर्य रहते है l
कार्य की जिम्मेदारी बाटना – अपने अधिनस्त साथियों को कार्य का विभाजन ऐसा हो जिससे किसी को कम या ज्यादा कार्य न लगे l जिसकी जैसी योग्यता एवं कुशलता है वैसे काम मिले, इससे उन्हें कार्य करने में रुचि अधिक होगी एवं गुणवत्तापूर्ण कार्य होने की संभावना बढ़ जाएगी l सभी के कार्य को उनकी रूचि का ध्यान देना भी अति आवश्यक है l कई बार सभी को उनकी रूचि के अनुसार कार्य देना एवं संतुष्ट करना भी बड़ी चुनौतीपूर्ण कार्य हो जाता है इसके लिए वरीयता के अनुसार सामंजस्य बिठाना एवं कार्यों का विभाजन आवश्यक है l
शालीनता एवं व्यवहार कुशल – कहते है कि व्यक्ति की वाणी से ही दोस्त और दुश्मन बनता है l वाणी की मिठास और व्यवहार में शालीनता व्यक्ति को समूह में स्वीकृति दिलवाता है, जो नेतृत्व की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है l अपने व्यवहार से एवं वाणी से कठिन से कठिन काम को आसन बनाया जा सकता है l एक कुशल नेतृत्वकर्ता अपने व्यवहार से अपने अधिनस्त कार्य करने वाले कर्मिओं के दिलो में राज करता है l अपने साथिओं के सुख-दुःख में संवेदना प्रदान करना एवं उनके साथ शामिल होने से अपनत्व की भावना का निर्माण होता है जो कार्य की गुणवत्ता को बढ़ाता है l
कार्यों की सराहना – सराहना एवं तारीफ़ किसे पसंद नहीं होती ! हर व्य्यक्ति इसे पाने के लिए उत्सुक रहता है l यह एक ऐसी टानिक है जिससे व्यक्ति किसी भी कार्य करने के लिए स्फूर्ति एवं ताजगी मिलती है, कार्य को और अच्छे से करने के लिए प्रेरणा और उत्साह मिलता है l किसी भी कार्य के सफल होने पर या पूर्ण होने पर इसकी ख़ुशी अवश्य सभी के साथ साँझा करना चाहिए l विशेषकर उन साथिओं के साथ जिनके कारण यह सफलता मिली है l काम की सफलता का श्रेय के लिए काम से जुड़े सभी व्यक्तिओं की सभी के सामने तारीफ करना आवश्यक है इससे उन्हें सभी के सामने सम्मान एवं अपनी कुशलता का प्रदर्शन करने का अवसर मिलता है l सभी के सामने बढ़ाई से नया कार्य के लिए ताजगी मिलती है l
वैसे नेतृत्व विकास एक छोटी संरचना नहीं है इसका विकास जीवन पर्यन्त चलता रहता है l यह एक ऐसा गुण है जो किसी-किसी में जन्मजात प्रस्फुटित होता है एवं कुछ में समय एवं परिस्थितियों के अनुसार अपने अनुभव एवं कार्यों आ जाता है l कुशल नेतृत्व विकास के लिए आवश्यक है कि अपने आस-पास के परिवेश एवं लोगो से सीखे कि वह अपने समूह का संचालन कैसे कर रहा है ! एक छोटा समूह हमारा घर से भी इसकी शुरुआत हो सकती है; घर का सभी कार्य कैसे चलते है इसे संचालित करने के लिए बेहतर प्रबंधन कैसे होता है इसे जानकर और इसमें सुधार कर हम घर का प्रबंधन कुशलतापूर्वक सीख सकते है l नेतृत्व विकास एक ऐसी कलां है जो अनुभव एवं दूसरो को देखकर भी सीखी जा सकती है l बहुत से कुशल नेतृत्वकर्ता को आप देख सकते है जिन्होंने नेतृत्व की कोई पढ़ाई नही की है परन्तु उसके पास नेतृत्व कुशलता प्रचुर मात्रा मे है l हमें नेतृत्व सीखने के लिए हमेशा प्रयास करते रहना चाहिए l नेतृत्व की शिक्षा हमें कहीं से भी मिल सकती है वश हमें अपने चारो तरफ खुले आँखों से देखने एवं महसूस करने की आवश्यकता है l नेतृत्व के विषय में हमारी प्रकृति हमें बहुत कुछ सिखाती है l एक चिंटी से भी बहुत कुछ सीखा जा सकता है l कुशल नेतृत्व का ज्ञान पाकर मनुष्य स्वयं एवं समाज को सही तथा उन्नत दिशा प्रदान करने में सहयोगी होता है l यह न केवल हमारा जीवन उन्नत करता है वल्कि हमें दूसरों से भिन्न बनता है l इससे मान, सम्मान, इज्जत, सौहरत आदि से सुख पाया जा सकता है l
श्याम कुमार कोलारे
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