पानी जितना सरल बनो
Thursday 21 October 2021
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मुलायम लचीला नरम बनो
पानी से निर्मल सब काया
बिना इसके सब मलीन माया।
दाग न रखे यह अपने पास
मिटा देता है मुख की प्यास
जल बिन जल जाएगा जग
इसके बिन न जीव के पग।
नीर नदी में अच्छे लगते
सतत बिना रुके ये बहते
पानी से सब भरें हुए है
इससे सब जिये हुए है ।
जिसके चेहरे पर हो पानी
उसको समझे दुनिया ज्ञानी
पानी का है खेल निराला
इसके बिन है हाहाकारा।
पानी बने जिन्दगानी सबकी
पानी नही तो काहेकि धरती
पानी का रूप समझ लो
इसकी धारा का तेज जानलो।
जो जन इसकी करे रखवाली
वह जीवन मे रहे खुशहाली
श्याम बात लो धरो यह जान
पानी रहे तो बढ़े है मान ।
लेखक
श्याम कुमार कोलारे
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