“लधु कथा” - लक्ष्य निर्धारण
“जिन बच्चों के पास आगे बढ़ने के लिए कुछ लक्ष्य हैं, वे उन बच्चों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करते हैं, जिनके जीवन में कोई लक्ष्य नहीं है।”
मैं और मेरे साथी बच्चों की पढ़ाई एवं इनके संज्ञानात्मक कौशल और भविष्य के प्रति बच्चों की सोच के बारे में एक प्रोजेक्ट के तहत एक गाँव में पहुँचेl हमारे पास बच्चों से बातचीत करने के लिए एक प्रश्नावली थी जिसके आधार पर हम कुछ बच्चों से उनके भविष्य की जिज्ञासा उसके लिए तैयारी के बारे में जानकारी के बारे में पता करना था l इस गाँव में बहुत से बच्चों से बात किये, परन्तु विनय नाम का बच्चा जिसकी उम्र 14 वर्ष थी उसके बारे में बताना सभी के लिए प्रेरणादायक चित्रण होगा l विनय गाँव का एक साधारण लड़का है, वह ग्राम बांसिया में अपने परिवार के साथ रहता था वह गाँव के निजी विद्यालय में कक्षा 8वी में पढ़ता था l उसके पिता खेती का काम करते थे, गाँव में उनकी कुछ खेती थी, माता घर का काम करती है व कृषि कार्य में भी मदद करती है l एक सामान्य परिवार की तरह उनका जीवन यापन करते थे l विनय का परिवार आर्थिक रूप से सक्षम होने के वावजूद भी वह अधिकतम कक्षा 12वी तक पढ़ना चाहता था l इसका मानना था कि ज्यादा पढ़ने का कोई फायदा नहीं होने वाला है क्योकि इसे आगे पढ़ने में कोई खास रूचि नहीं है l गाँव के अन्य युवको की तरह विनय भी अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद ड्राईवर बनना चाहता है l उसकी यह सोच इसलिए हुई क्योकि इस गाँव में बहुत से युवक ड्राईवर है और वह इस व्यवसाय से सभी संतुष्ट थे l विनय के घर का मुख्य व्यवसाय कृषि है इसलिए उसे कृषि से सम्बंधित पूरे काम करने आते है,घर में ट्रेक्टर होने के कारण विनय ट्रेक्टर चलाना जानता था, कल्टीवेटर चलाना और अन्य काम आते थे, विनय का परिवार कृषि प्रधान था परन्तु विनय कृषि कार्य करना नहीं चाहता है, उनको कार चलाना बहुत पसंद है l वह बड़े होकर किसी के पास ड्राईवर का काम करना चाहता है l विनय के पिता उसकी पढ़ाई में बहुत ध्यान देते थे परन्तु विनय से बातचीत करने पर लग रहा था कि 14 वर्ष की उम्र में उसका सीधा लक्ष्य निर्धारण कर लिया है कि उसको क्या करना है? वह अधिकतम 12 तक पढ़ कर रोजगार के लिए ड्राईवर बनना चाहता हैl इस उम्र में बच्चों को अपने लक्ष्य के प्रति जागरूक होना एक उज्जवल भविष्य की ओर संकेत करते हैl आगे जाकर बच्चे अपने इस लक्ष्य को पाने के पड़ाव को तय करने के लिए रास्ता खोजता है एवं अपने भविष्य को तय करना आसन हो जाता हैl
विनय को खेल पसंद है वह अपने दोस्तों के साथ गाँव में खेले जाने वाले सभी खेल खेलता है l स्कूल व गाँव में कोई समारोह में डांस करता है l कलात्मक कार्यों में भी रूचि है, विनय ने स्कूल में मिट्टी के खिलौने, कागज से बने आर्ट, लकड़ी की गाड़ी बनाने आदि कार्य किया है l स्कूल में इस प्रकार के रचनात्मक कार्य कराये जाते है l बचपन से विनय को स्कूल जाना पसंद है,अभी भी स्कूल पसंद जाना पसंद है l इसके अनुसार इसके अभिभावक विनय को पोस्ट ग्रेजुएट या उससे अधिक की कक्षा तक पढ़ाना चाहते है पर विनय ज्यादा नहीं पढ़ना चाहता है l अपने भविष्य के काम के बारे में उन्होंने अपने अभिभावक को बता रखा है l विनय को ड्राइवर बनने के बारे में सारी प्रक्रिया पता है l विनय को गाँव में दोस्तों के साथ खेलना पसंद है, इसलिए इसके साथ गाँव के अन्य बच्चे साथ-साथ टोली में रहते है l विनय से बात करने पर यह स्पष्टता और आत्मविश्वास के साथ बगैर झिझक के हमारे प्रश्नों का जबाब दे रहा था l विनय के बारे में यह कह सकते है की इसको अपना लक्ष्य पता है व इसके लिए वह कार्य कर रहा है l यह अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए दोस्तों व परिवार से मदद लेंगे l
बच्चों में अपना लक्ष्य निर्धारण के लिए परिवार को हाई स्कूल के बाद से ही तय होना बच्चे के भविष्य एवं उस गोल को पाने के लिए रास्ता की खोज कर लेन के आगे जाकर भटकाव का सामना नही करना पडेगा l जीवन में लक्ष्य निर्धारित करने वाले लोग न केवल उन्हें प्राप्त करने के लिए प्रेरित होते हैं, बल्कि वे उन्हें हासिल भी करते हैं। एक व्यक्ति जिसके पास जीवन का उद्देश्य है, उसके लिए उठने और काम करने का एक कारण है। यहां तक कि बच्चों को जीवन में लक्ष्य निर्धारित करने और उनके लिए काम करने के बारे में भी सिखाया जाना चाहिए। यदि आप मासिक या वार्षिक लक्ष्य निर्धारित करते हैं, तो यह सुझाव दिया जाता है कि आप अपनी इस आदत को अपने बच्चे को भी दें। चाहे वह शैक्षणिक लक्ष्य या अन्य लक्ष्य निर्धारित करने के बारे में हो, अपने बच्चे को कम उम्र से ही लक्ष्य निर्धारित करने के बारे में सिखाएं। यदि आप सोच रहे हैं कि आप उसे कैसे सिखा सकते हैं लक्ष्य निर्धारण बच्चों को एक उद्देश्य या दिशा देता है। इस तरह आपका बच्चा जानता है कि किसी खास लक्ष्य को हासिल करने के लिए उससे क्या करने की उम्मीद की जाती है। यह उसके आत्मसम्मान को बढ़ाएगा, ध्यान केंद्रित करेगा और बेहतर निर्णय लेने में उसकी मदद भी करेगा। यह भी देखा गया है कि जिन बच्चों के पास आगे बढ़ने के लिए कुछ लक्ष्य हैं, वे उन बच्चों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करते हैं, जिनके जीवन में कोई लक्ष्य नहीं है।
0 Response to " “लधु कथा” - लक्ष्य निर्धारण "
Post a Comment