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गुलदस्ता में कोई बूढ़ा फूल क्यों नहीं होता?

गुलदस्ता में कोई बूढ़ा फूल क्यों नहीं होता?

मोटा गुलदस्ता सजीले फूल
रंगत बढ़ाते सुगंध के मूल 
खिल-खिलाकर हँस रहें है
सब बंधकर एक ही सूत्र।

हर बार चुने जाते है
ताजे खिले युवा फूल
हटा दिए जाते है
मुरझाई कान्ति के बूढ़े फूल
इन फूलों की चमक चली गई
इसकी खुशबू थोड़ी ढ़ल गई।
जो बसते थे नजरो में कभी
खुशबू बिखेरते थे फिजाओं में
जो थे कभी बागों के नूर 
माली सहलाता था इसे कभी
आज अपना अस्तित्व खोजते है
किसी सजीले गुलदस्ते में।

यही जीवन का दस्तूर 
बूढ़े फूल हुए मजबूर 
कान्ति खोने के बाद 
किसी कोने में फेंका जाता
या कूड़ादान की खाक है पाता।

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गर गुलदस्ता का अल्प
कोना मिल जाये
संग फूलों की खुशबू पा जाए
फिर इसमें चहक बढ़ जाये
बूढ़ा फूल भी मुस्कायेगा
अपने भाग्य पर इठलाएगा।

गुलदस्ता में बूढ़ा फूल 
इसलिए नही होता है 
क्योंकि बूढ़ा फूल खुशबू छोड़
नए फूल को गुलदस्ते में 
सजने मौका देता है। 

लेखक/रचनाकार
श्याम कुमार कोलारे
सामाजिक कार्यकर्ता"प्रथम"
छिन्दवाड़ा (म.प्र.)
मोबाइल 9893573770

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