भारत वतन
Saturday 25 December 2021
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जब भी हो जन्म दूजा भारत वतन मिले
इसकी आन में मेरा जन्म सफल बने
धूल भी इसकी ओषधि हवा दवा बने
पेड़ो की शीतल छाँव में मर्ज सभी मिटे।
ज्ञान गंगा बहती है वेदो की सरिता में
संस्कार का सृजन वेदों- पुराण से
हिन्द की फिजाओं में वीरता की गाथा है
भाव सबके मन में देश का ऊंचा माथा है।
संस्कार संस्कृति में देश का नाम हो
जन गण मन श्रद्धा से सबका गान हो
ये देवभूमि संस्कारदानी मेघादानी हो
उपनिषदों के ज्ञान से प्रवीण धाम हो।
सदभाव की बस्ती में प्रेम प्रकाश सने
निःस्वार्थ भावना से हिलमिल सब रहे
जयति जन्म भूमि में भारत मुझे मिले
मरने के बाद भी तिरंगा कफ़न मिले ।
देश की शान में तन मन धन मेरा लगे
भारत भूमि की धूल माथे मेरे सजे
जब भी हो जन्म दूज भारत वतन मिले
इसकी आन में मेरा जन्म सफल बने।
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