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 वीणा को साज से सजादे

वीणा को साज से सजादे

 वीणा को साज से सजादे


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मुझे मुझसे ही  मिलादे  सुन मेरी ए जिंदगी 

 खो गई हूं मैं करते-करते मोहब्बत ए बंदगी।।


हासिल हुआ न हमको मोहब्बत में किनारा

बनके तूही सहारा मुझे तार लगादे ए जिंदगी ।।


ख्वाब मोहब्बत में मैंने भी कितने सजाए थे 

बिखरे हैं ख्वाब मेरे समेट तू उठाले ए जिंदगी।।


लगता हे हमको हर ओर है जैसे एक घना अंधेरा

डरती घने अंधेरे से इससे निकाल हमें ए जिंदगी।।


जिंदगी से हार मौत के आगोश में सोना चाहती

मौत न आती हमें मौत से तू ही मिलादे ए जिंदगी।।


बहती हैं हर पल मेरी आंखों से शबनमी सी बूंदें

इन शबनमी बूंदों को तू ही अब सुखादे ए जिंदगी।।


भाता नहीं है हमको जिंदगी नाम दर्द ए शायरा

वीणा को वीणा से मिला साज़ से सजादे ए जिंदगी।।


वीना आडवानी तन्वी

नागपुर, महाराष्ट्र

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