वीणा को साज से सजादे
Sunday 27 February 2022
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वीणा को साज से सजादे
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मुझे मुझसे ही मिलादे सुन मेरी ए जिंदगी
खो गई हूं मैं करते-करते मोहब्बत ए बंदगी।।
हासिल हुआ न हमको मोहब्बत में किनारा
बनके तूही सहारा मुझे तार लगादे ए जिंदगी ।।
ख्वाब मोहब्बत में मैंने भी कितने सजाए थे
बिखरे हैं ख्वाब मेरे समेट तू उठाले ए जिंदगी।।
लगता हे हमको हर ओर है जैसे एक घना अंधेरा
डरती घने अंधेरे से इससे निकाल हमें ए जिंदगी।।
जिंदगी से हार मौत के आगोश में सोना चाहती
मौत न आती हमें मौत से तू ही मिलादे ए जिंदगी।।
बहती हैं हर पल मेरी आंखों से शबनमी सी बूंदें
इन शबनमी बूंदों को तू ही अब सुखादे ए जिंदगी।।
भाता नहीं है हमको जिंदगी नाम दर्द ए शायरा
वीणा को वीणा से मिला साज़ से सजादे ए जिंदगी।।
वीना आडवानी तन्वी
नागपुर, महाराष्ट्र
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