सुख दुःख
Friday 25 February 2022
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Sukh dukh
दुनिया के इस मेले में,
सुख-दुख का खेल अनोखा है ।
जिसने देखा केवल सुख ,
वो तो आंख का धोखा है।
सुबह शाम से सुख-दुख सारे ,
ये तो आते जाते हैं ।
दुख की घड़ी बड़ी है लगती,
सुख छोटे रह जाते हैं ।
धूप छांव से सुख दुख भी ,
हर पल साथ निभाते हैं।
कभी बसंत से ये बन जाते,
कभी पतझड़ ये दे जाते हैं ।
बन उमंगे भीतर ये,
कभी जोश भरे जाते हैं ।
और कभी ये तोड़ के हमको ,
तन्हां सा कर जाते हैं ।
संग इनके ही हिल मिलकर ,
हम जीवन ये बिताते हैं ।
कभी ये देते भोर सुबह सी ,
कभी यादें ये बन जाते हैं ।
जीवन के अंतिम क्षण तक ये ,
साथ सदा निभाते हैं ।
खुशियों की सौगातों संग ये,
दर्द बहुत दे जाते हैं ।
सुख-दुख मिलकर ही हमको ,
जीवन जीना सिखाते हैं ।
नाजुक से हम होते हैं ये,
मजबूत हमें बनाते हैं ।।
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पूनम शर्मा स्नेहिल
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