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सही को मापदंड बनाए, गलत को नहीं l Make right the criteria, not the wrong.

सही को मापदंड बनाए, गलत को नहीं l Make right the criteria, not the wrong.

सही को मापदंड बनाए, गलत को नहीं l Make right the criteria, not the wrong.


श्रीराम शर्मा आचार्य ने कहा है कि उन लोगों की प्रशंसा कभी मत करना जिन लोगों ने गलत तरीके से धन अर्जित किया हो, इससे समाज में गलत संदेश जाता है| गलत लोगों की तादाद इसलिए ज्यादा है, क्योंकि उसको बचाने वाले, समर्थन करने वाले और उसके लिए बहुत कुछ करने वाले लोग सैकड़ों में है| चार्ल्स डार्विन ने कहा था कि जिस प्रजाति को तापमान और सही वातावरण मिलता है वह अनुकूल हो जाता है और वृद्धि भी करता है| गलत लोग इसलिए भी बढते हैं क्योंकि समाज में गलत लोगों की चर्चा और प्रशंसा सही लोगों की तुलना में कई गुणा ज्यादा होती है, भले ही वह प्रशंसा न्यायसंगत ना हो| जिन लोगों ने गलत तरीके से धन संग्रह किया, गरीबों/मजदुरों/किसानों का हक़ मारकर गाड़ी, बंगला बनाया उसको ज्यादा सम्मान दिया जाता है, जो कि गलत  हैl 

गलत लोग के बढने के पीछे बुद्धिजीवी और शिक्षित लोगों का चुप रहना भी एक बड़ा वजह हैl ये लोग कुछ  फायदा सही लोगों को देते हैं, बहुत काम भी करवा देते हैं जिससे बुद्धिजीवियों के समय, धन और मेहनत की बचत होती है और इसलिए भी  बुद्धिजीवी  लोग गलत लोगों का विरोध नहीं करते, और चुप रहते हैंl 

एक कम उम्र का लड़का जिसे जिन्दगी का अनुभव ज्यादा ना हो, वो तो गलत लोगों की समाज में चर्चा/प्रशंसा के आधार पर गलत लोगों को ही अपना आदर्श मान बैठेगा, भले ही समय बीतने पर उसे खुद गुमराह होने का आभास होगा|  इसलिए कभी भी गलत लोगों की प्रशंसा ना करेl जिस दिन हम सही लोगों को उचित सम्मान देगें, उचित तहजीब से, उचित शब्द से विभूषित कर उनकी गरिमा बढाऐंगे और अपना काम गलत लोगों से ना करवा कर खुद से करेंगे, उस दिन से हमारा समाज बिल्कुल ही बदल जाएगा l सही लोगों के संघर्ष को, सफलता को बढ-चढ कर सही और  प्रशंसनीय ठहराने से युवाओं को प्रोत्साहन मिलेगा|   सही और बेदाग बनने की होड़, हर युवा में होगा और कानूनी रूप से, वैद्य तरीके से लोगों में मेहनत करके अपने लक्ष्य हासिल करने का जज्बा होगा तभी विकसित समाज बनना संभव हो सकेगा| महाभारत में नापाक मंसूबे रखने वाले कौरव के फौज को नकारते हुए द्वारकाधीश कृष्ण ने पांडवों का साथ इसलिए दिया ताकि धर्म और सत्य पर, कर्मशीलता पर लोगों का विश्वास अडिग रहे इसलिए हमें अपने समाज के लिए कृष्ण बनना है, कौरव नहीं| मर्यादा पुरूषोत्तम राम भी राज-पाठ और स्त्री से विहीन सुग्रीव को अपनाए, उनके नेतृत्व क्षमता को बढ़ाकर और न्यायसंगत तरीके से बालि का वध किया और सुग्रीव को अपना राज-पाठ वापस दिलाया| सही गलत में स्पष्ट समझबूझ की वजह से ही लंकापति रावण को त्याग कर विभीषण प्रभु श्रीराम के शरण में आए इसलिए हमें हमेशा सही का ही समर्थन करना चाहिए |  मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र और द्वारकाधीश कृष्ण के  अतुलनीय कार्य और विराट व्यक्तित्व को प्रेरणास्रोत मानते हमेशा सही का साथ देना चाहिएl 

लेखक-
चन्दन कुमार सिंह

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