धर्मो में सबसे बड़ा धर्म इंसानियत और हर सेवा से बड़ी सेवा मानव सेवा - कपड़ा बैंक संस्थापक "महेश भावरकर"
Humanity is the biggest religion among religions and service to humanity is greater than every service.
“सेवा परमो धर्म” यानी हमारे जीवन में सेवा करना एक बहुत ही बड़ा धर्म होता है l यह सेवा हम मानव जीवन में पुण्य करके कमा सकते हैं और जीवन को बहत ही अच्छे ढंग से जी सकते हैं l दुनिया में कई सारे लोग ऐसे होते हैं जो सेवा करने की योग्य नहीं होते लेकिन वह फिर भी दूसरों की सेवा करना चाहते हैं लेकिन यदि आप सेवा करने की योग्य हो तो दूसरों की सेवा जरूर करें क्योंकि दूसरों की सेवा करने से बढ़कर कोई भी बड़ा धर्म नहीं होता। यदि आप वास्तव में ईश्वर की सेवा करना चाहते हैं और ईश्वर को खुश करना चाहते हैं तो गरीब, जरूरतमंद असहायों, निराश्रितों की सेवा अवश्य करके देखिये, आत्मसंतोष के मानसिक संतुष्टि मिलेगी जो आप धन खर्च करके भी नहीं पा सकते l सेवा करना मनुष्य का सबसे उच्च गुण होता है।
“सेवा परमो धर्म” को चरितार्थ करते हुए महाशिवरात्रि को छिंदवाड़ा जिले के वैशाली हार्ड वेयर के संचालक मुकेश साहू द्वारा भोलेनाथ के भक्तों को 24 घण्टे भोजन प्रसाद भंडारा वितरण किया जा रहा था l यहाँ भोलेनाथ के दर्शन करने वाले सभी भक्तों को भोजन प्रसाद परोसा जा रहा था l महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर कपड़ा बैंक सेवा सहयोग संगठन के संस्थापक महेश भावरकर जब भोलेनाथ के दर्शन करने महादेव जा रहे थे तब उसी वक्त भोजन करने बैठे व्यक्ति जिसके हाथ उल्टे थे (हाथ की हथेली घूमी हुई पीछे की ओर) जिसे खाना खाते नही बन रहा था; वह खाने के लिए संघर्ष कर रहा है, आने-जाने वाले सब अनदेखा कर चले जा रहे थे उस ओर किसी का ध्यान नहीं गया और न ही कोई पर पास कोई नही आया। तब कपड़ा बैंक सेवा “सहयोग सहयोग संगठन” के संस्थापक महेश भावरकर की नजर पड़ते ही उन्होंने तुरंत इस व्यक्ति के पास जाकर अपने हाथों से भोजन कराया,पानी पिलाया l भक्त के मन में संतोष एवं आशीर्वाद के भाव को देखकर मन मानो ऐसा भक्तिमय हो गया जैसे इस भक्त में ईश्वर के दर्शन हो गये हो l यह सब करके उस भक्त की प्लेट को डस्टबिन में डालने को गये वापिस आकर देखा तो वह भक्त जैसे क्षण भर में आखों से ओझल हो गया, चारो तरफ नजर दौड़ाने पर भी नहीं मिला । शायद वह चला गया था l पर इस घटना ने मानों जीवन का एक बड़ा संतुष्टिजनक कार्य करने का मौका दिया और भक्ति का एक अवसर के रूप में भगवान भोलेनाथ की सेवा करने का सौभाग्य मिलाl भक्ति आत्मसंतोष वही मिल गया था इसलिए भूराभगत से ही यात्रा से वापिस आ गया l भोले नाथ का दर्शन लाभ सेवा से ही मिल गया था l
वास्तव में यदि प्रत्येक मनुष्य में सेवा करने का भाव हो तो मनुष्य जीवन सार्थक सिद्ध हो सकता है सच मानिए सेवा करना एक परम धर्म है और मुक्ति का द्वार भी है l जब हम दूसरों की सेवा करते हैं तो वास्तव में हम ईश्वर की सेवा ही करते हैं जिस तरह से यदि हम कहीं पर जा रहे होते हैं और यदि हमको कोई ऐसा व्यक्ति मिलता है जिसको मदद की जरूरत होती है तो हमारा कर्तव्य है कि हम उसकी मदद सेवा भाव से करें जो दूसरों की सेवा करता है वह जीवन में सुख संपत्ति पाता है। अगर आज के समय में इंसान ये समझ जाए की हर धर्मो में सबसे बड़ा धर्म इंसानियत का होता है,और हर सेवा से बड़ी सेवा मानव सेवा की होती हैं तो विश्व में हर ओर शांति ही शांति और उन्नति ही उन्नति होगी।
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