प्लास्टिक कचरा बना पर्यावरण का दुश्मन, प्लास्टिक के उपयोग व दुष्परिणाम के प्रति सजग हो आम जनता
प्लास्टिक कचरा बना पर्यावरण का दुश्मन, प्लास्टिक के उपयोग व दुष्परिणाम के प्रति सजग हो आम जनता
पहले प्लास्टिक का अधिकतम उपयोग शहरो तक सीमित था परन्तु आधुकनिकता के दौर में प्लास्टिक का उपयोग अब गाँव की ओर भी पैर पसार रहा है, यहाँ धड़ल्ले से प्लास्टिक का उपयोग किया जा रहा है। गाँव में कचरा निपटान के साधन में केवल घुड़ा (कचरे का ढेर) एकमात्र साधन होता है या फिर ऐसे प्लास्टिक को जलाया जाता है, ये एक रूप से दूसरे रूप में घातक एवं दूषित हवा के साथ पर्यावरण में मिल जाता है। प्लास्टिक घरती को दूषित कर रहा था अब यह हवा को भी दूषित कर देता है,ये है सामान्यतः गाँव का कचरा निपतान।
सरकार के साथ-साथ कई स्वयं सेवी संस्था पर्यावरण जागरूकता के लिए काम कर रही है। पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार ने बड़े-बड़े नियम एवं कानून भी बनाये है। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को लेकर आये दिन सरकार नए-नए उपायों एवं अनुसंधान एवं उचित संधारण और निपटान पर कार्य कर रही है। केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने स्थलीय एवं जलीय इकोसिस्टम पर बिखरे हुए प्लास्टिक के कचरे के प्रतिकूल प्रभावों को ध्यान में रखते हुए प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 को अधिसूचित कर दिया है, जो वर्ष 2022 तक कम उपयोगिता और कचरे के रूप में बिखरने की अधिक क्षमता रखने वाली एकल उपयोग की प्लास्टिक वस्तुओं को प्रतिबंधित करता है। इस अधिसूचना के तहत जुलाई 2022 से पॉलीस्टीरीन और विस्तारित पॉलीस्टीरीन समेत निम्न एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक वस्तुओं के निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग को प्रतिबंधित किया जाएगा- प्लास्टिक की छड़ियों से लैस ईयर बड्स, गुब्बारों के लिए प्लास्टिक की छड़ियां, प्लास्टिक के झंडे, कैंडी की छड़ियां, आइसक्रीम की छड़ियां, सजावट के लिए पॉलीस्टीरीन (थर्मोकोल); प्लेट, कप, गिलास, कांटे, चम्मच, चाकू, स्ट्रॉ, ट्रे जैसी कटलरी, मिठाई के डिब्बों के चारों ओर लपेटी जाने वाली या पैकिंग करने वाली फिल्म, निमंत्रण कार्ड और सिगरेट के पैकेट, 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक या पीवीसी बैनर।
साल 2016 में लाए गए नियमों के तहत ये अनिवार्य किया गया था कि कैरी बैग्स की मोटाई कम से कम 50 माइक्रोंस होनी चाहिए। साल 2021 में हुए संशोधनों में यह कहा गया था कि इन बैग्स की मोटाई सितम्बर 2021 तक बढ़ाकर 75 माइक्रोन और दिसंबर 2022 तक बढ़ाकर 120 माइक्रोन कर दी जाएगी। हालांकि मोटाई के तय मानकों की अवहेलना करते हुए अवैध कैरी बैग्स की बिक्री और उपलब्धता अब भी जारी है और इसे शहरों के स्थानीय सब्जी और फल बाज़ारों में देखा जा सकता है। शहरों में सबसे ज्यादा दो सामानों से कूड़ा-करकट फैला दिखता है, उनमें प्लास्टिक कैरी बैग्स सबसे प्रमुख है।
बेशक सरकार कई नियम एवं कानून बना ले और इसे कारगार रूप से जनता को मानने के लिए प्रतिबद्ध कर दे परन्तु इसमें आम जनता की सहभागिता जब तक सुनिश्चित न हो तब तक तमाम प्रयास असफल होंगे l पर्यावरण संरक्षण कुछ लोगो का काम नहीं है जिससे की इसे संरक्षित किया जा सकता है इसमें हम सब को अपना प्रयास जारी रखने की आवश्यकता है l यदि इस प्रयास में हम सरीक नहीं होते है, तो आने वाला समय हमारे एवं हमारी आगामी पीढ़ी के लिए बहुत ही संघर्षपूर्ण जीने के लिए मजबूर हो जायेगी l इस प्रयास में हम सब को अपनी-अपनी जिम्मेदारी निभानी हो तब ही आगामी भविष्य की सुखद परिकल्पना की जा सकती है l
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