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घर-घर खुशियों के दीप जले

घर-घर खुशियों के दीप जले

घर-घर खुशियों के दीप जले

घर-घर द्वार दीप जले,  घर-घर हो खुशी का उजियारा
दीपावली सुख शांति समृध्दि लाये, दूर भगे अँधियारा।
माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद हो, कुवेरदेव का साथ मिले
धन धान्य से घर में रौनक, कुटुंब जन का साथ मिले।

घोर अंधेरी रात में, जब टिमटिमाते अटारी दीप जले
मिट जाए घोर अँधेरा, खुशियों की फुलझड़ी खिले।
बच्चों की किलकारी से, गूँज उठता घर द्वार है
फुलझड़ियों की चिंगारी से, मन मे उठता मल्हार है।

आयों हम सब दीप जलाये, घर घर उजाला लाये
खुशियों के उजाले से, देश धर्म पर बलि बलि जाये।
हर घर खुशियों के सरोवर, पड़ोस में भी हो एक धारा
हर घर दीपावली दीप जले, हम सब का ही यही नारा।

हर गरीब की दीपावली, कोई असहाय न हो मजबूर
हम सबको गले लगाए, खुशियाँ हो सबको भरपूर।
खील बतासों मुट्ठी भरदे, मिष्ठान मुख मीठा कर जाये
आसमान तक आतिस, खुशियों का परचम लहरायें।

आयों घर घर दीप जलाये, हर घर ख़ुशियाँ फैलायें
नए वरन में नई उमंग में, हर घर दीपावली मनाये। 

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लेखक
श्याम कुमार कोलारे
चारगांव प्रहलाद, छिंदवाड़ा (म.प्र.)
मोबाइल 9893573770

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