वो रातें अब कहां गई जब पल भर में सो जाते थे
वो रातें अब कहां गई, जब पल भर में सो जाते द...
वो रातें अब कहां गई,
जब पल भर में सो जाते द...
फिल्मी-फिल्मी चलती थी,
हम गाने-शाने गए थे,
वो रातें अब कहां गई,
जब पल भर में सो जाते थे...
फेल-फूल होकर हम,
मारे-शारे खाते थे,
वो रातें अब कहां गई,
जब पल भर में सो जाते द...
जेब भी खली होती थी,
फिर कहां से हिम्मत लाते थे,
वो रातें अब कहां गई,
जब पल भर में सो जाते…
नानी की गोदी में सर रख कर जब,
दिन भर की ठकान मिटाते थे,
वो रातें अब कहां गई,
जब पल भर में सो जाते …
प्यार हुआ था तब भी हमें,
पर उससे हम “मां” बुलाते थे, सुबह झगड़ा करते
हम,
तो शाम को भूल जाते थे,
वो रातें अब कहां गई,
जब पल भर में सो जाते…
उन्गली थामे चल पड़े जिन्की निदर होकर,
“पापा” उन्हें हम बुलाते थे,
सुबह शाम हमारी जरातों का बोझ उठाकर,
रात को घर वो आते थे,
वो रातें अब कहां गई,
जब पल भर में तो जाते…
वो दौर भी कितना सच्चा था,
हर कोई लगता अच्छा था,
दोस्त की हार हुई तो जैसे,
आंसू मेरी आंखों से बह जाते थे,
वो रातें अब कहां गई,
जब पल भर में सो जाते…
बातें खुदसे करते हम,
खुदको खुद ही मनाते थे,
वो रातें अब कहां गई,
जब पल भर में सो जाते…
टूट ते तारे को देख कर हम,
पलकों से ख्वाहिश चुराते थे,
वो रातें अब कहां गई,
जब पल भर में सो जाते …
आइसक्रीम और गोला खा कर,
चुटियां हम यू बिटते थे,
वो रातें अब कहां गई,
जब पल भर में सो जाते …
जल्दबाजी खेलते दिन भर,
खुशियों के गीत गुनगुनाते थे,
वो रातें अब कहां गई,
जब पल भर में सो जाते …
सेल फोन ना था तब हमारे पास,
चिठियां लिख कर डाक घर जाते थे,
वो रातें अब कहां गई,
जब पल भर में सो जाते …
पिज्जा का नाम सुना ना था,
जब घर गरम फुलके हम खाते थे,
वो रातें अब कहां गई,
जब पल भर में सो जाते …
"प्रलोभन" क्या होता है पता न था,
एक टॉफी से खुश हो जाते थे,
वो रातें अब कहां गई,
जब पल भर में सो जाते …
बहाने बनाना ना सीखा था तब,
होमवर्क ना करने पर, मास्टर की जंजीर हम खाते थे,
वो रातें अब कहां गई,
जब पल भर में सो जाते…
हर संक्रांत के उस त्योहार में,
मंजो के पेच लड़ते थे,
वो रातें अब कहां गई,
जब पल भर में सो जाते द...
खून के दाग देखे ना,
रंग की होली मनाते थे,
वो रातें अब कहां गई,
जब पल भर में सो जाते …
दिवाली में पटाखे मिले न मिले,
खुशी से,
आंगन में दीप जलाते थे,
वो रातें अब कहां गई,
जब पल भर में सो जाते …
रास्ते पर चवन्नी मिली अगर,
तो मंदिर के दब्बे तक उससे पोहोचते थे,
वो रातें अब कहां गई,
जब पल भर में सो जाते…
परीक्षा क्लास की हो या जिंदगी की,
मां के जोड़े चुका टीका लगवाते,
वो रातें अब कहां गई,
जब पल भर में सो जाते …
वो रातें अब कहां गई,
जब पल भर में तो जाते द...
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